जारी है संतों के बीच वर्चस्व की लड़ाई
साधु-संतों में शंकराचार्य और फर्जी बाबाओं को लेकर घमसान चल रहा है। साधु-संत एक दूसरे को फर्जी शंकराचार्य और फर्जी बाबा साबित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। बीते दिनों इलाहाबाद के एक न्यायालय ने उत्तराखंड के बद्रीनाथ ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य के पद को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया। न्यायालय ने इस पीठ पर शंकराचार्य के पद पर आसीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती को शंकराचार्य नहीं माना और धर्म महामंडल वाराणसी को न्यायालय ने ज्योतिर्पीठ बद्रीनाथ का नया शंकराचार्य धर्मशास्त्रानुसार मनोनीत करने का आदेश दिया। इलाहाबाद के न्यायालय के आदेश के बाद धर्म महामंडल का विद्वतमंडल पिछले कई महीनों से ज्योतिर्पीठ शंकराचार्य के चयन में लगा हुआ है। इसी दौरान मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अपने समर्थक संतों द्वारा फिर से खुद को ज्योतिर्पीठ का शंकराचार्य घोषित करवा दिया। जिसका अन्य पीठों और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् ने जबरदस्त विरोध किया।
वहीं दूसरी ओर, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के राष्ट्रीय महामंत्री और श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि महाराज ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के धुरविरोधी, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती को ज्योतिर्पीठ का शंकराचार्य मानते हुए उन्हें तीन जनवरी से इलाहाबाद के प्रयाग में आयोजित माघ मेले में ज्योतिर्पीठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य के रूप में आमंत्रित किया है। उधर, स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने स्वयं को असली शंकराचार्य बताते हुए प्रयाग माघ मेले में ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य के रूप में भूमि आबंटन के लिए इलाहाबाद के जिला प्रशासन को पत्र भेजा है। इस बीच, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा और अखिल भारतीय अखाड़ा ने उन्हें ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य के तौर पर माघ मेले में प्रवेश देने का विरोध किया है। महंत हरि गिरि का कहना है कि जबतक न्यायालय के आदेश पर किसी नए शंकराचार्य का चयन नहीं हो जाता है तब तक श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती को ही ज्योतिर्पीठ बद्रीनाथ का शंकराचार्य मानेंगे।
धर्म महामंडल बनारस ने ज्योतिर्पीठ बद्रीनाथ शंकराचार्य पद के लिए साधु-संतों से आवेदन मांगे हैं। करीब दो सौ से ज्यादा साधु-संतों ने अपने आवेदन बायोडाटा के साथ भेजे हैं। जिनमें नेपाल की मूल निवासी और श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा की महामंडलेश्वर की हेमा गिरि भी शामिल हैं। महामंडलेश्वर हेमा गिरि श्री महंत हरि गिरि की शिष्या हैं।
इस बीच, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् में अपनी दो चरणों की बैठक में 17 नामों को अब तक फर्जी संत घोषित किया है। जिनमें आसाराम बापू, रामलाल, राम रहीम, सचिदानंद, वीरेन्द्र दीक्षित, राधे मां, सचिन दत्ता और महिला संघ त्रिकाल भवंता समेत कई नाम शामिल हैं।
यह है विवाद
1973 से ज्योतिर्पीठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य पद को लेकर विवाद चला आ रहा है। 1953 में ज्योतिर्पीठ पर स्वामी कृष्णबोधाश्रम 43वें शंकराचार्य के रूप में आसीन हुए थे। 1973 में उनका निधन हो गया था।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अभिमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि स्वामी कृष्णबोधाश्रम के निधन के बाद 1973 में इस पीठ पर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शंकराचार्य के रूप में विराजमान हुए, उन्हें शृंगेरी और गोवर्धनपीठ जगन्नाथ पुरी के शंकराचार्यों और धर्म महामंडल काशी विद्वत परिषद् ने इस पीठ पर विधिपूर्वक आसीन किया, तब से स्वरूपानंद सरस्वती इस पीठ के शंकराचार्य के रूप में विराजमान हैं और न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए ही काशी विद्वत परिषद् ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का फिर से अभिषेक ज्योतिर्पीठ पर किया है। कुछ लोग भ्रम फैलाने के लिए स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बारे में दुष्प्रचार कर रहे हैं और आदि जगतगुरु शंकराचार्य के द्वारा स्थापित परंपराओं का खुला उल्लंघन कर रहे हैं।
ज्योतिर्पीठ बद्रीनाथ को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ जब 1989 में काशी विद्वत परिषद् के कुछ सदस्यों और कुछ साधु-संतों और अखाड़ों ने इस पीठ पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थक स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का शंकराचार्य के रूप में अभिषेक किया। 1993 में इसी पीठ पर ही कुछ साधु-संतों ने स्वामी माधवाश्रम को 1993 में शंकराचार्य के रूप में आसीन कर दिया। इस तरह इस पीठ में तीन-तीन शंकराचार्य आसीन हो गए।
वहीं स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने स्वामी स्वरूपानंद के खिलाफ ज्योतिर्पीठ के उत्तराधिकारी को लेकर 1989 इलाहाबाद की एक अदालत में मुकदमा दर्ज किया था। इस तरह ज्योतिर्पीठ बद्रीनाथ आज तक विवादों के घेरे में चला आ रहा है। स्वामी माधवाश्रम का पिछले साल निधन हो गया था और अब इस पीठ पर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बीच सीधी लड़ाई चल रही है।