BCCI के नए संविधान को सुप्रीम कोर्ट से मिली मंजूरी, 30 दिन के अंदर अपनाने का मिला निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के नए संविधान को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही न्यायालय ने रेलवे, ट्राई सर्विसेज और भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ के लिए पूर्ण स्थाई सदस्यता दी है। यह फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्व के आदेश को संशोधित करते हुए सौराष्ट्र, वडोदरा, मुंबई और विदर्भ क्रिकेट संघ एसोसिएशनों के वोटिंग अधिकारों को भी बहाल कर दिया। न्यायालय ने इन क्रिकेट निकायों के ऐतिहासिक अस्तित्व और योगदान का भी हवाला दिया। न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड ने कहा कि प्रत्येक पदाधिकारी को लगातार दो पदों के बाद उपशमन अवधि (नोटिस पीरियड) से गुजरना होगा। गौरतलब है कि पिछले दिनों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट असोसिएंस के सदस्यों से बीसीआई के नए संविधान के मसौदे को लेकर सुझाव मांगे थे।
कोर्ट ने क्रिकेट संघ से जुड़े सदस्यों से अपने सुझाव एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता गोपालकृष्ण सुब्रमण्यम को देने को कहा था। उच्चतम न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सदस्यों के लिए आज ‘एक राज्य, एक वोट’ की नीति पर अपने पहले के आदेश में संशोधन करते हुए मुंबई, सौराष्ट्र, वडोदरा तथा विदर्भ के क्रिकेट संघों के बोर्ड को पूर्ण सदस्यता प्रदान की।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र की अगुवाई वाली पीठ ने कुछ संशोधनों के साथ देश में सबसे अमीर और शीर्ष क्रिकेट संस्था के संविधान के मसौदे को भी मंजूरी दी और तमिलनाडु के रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज से बीसीसीआई के स्वीकृत संविधान को चार हफ्ते के भीतर अपने रिकार्ड में लेने का निर्देश दिया। पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़Þ भी शामिल थे। पीठ ने रेलवे, सेना और विश्वविद्यालयों को दी पूर्ण सदस्यता भी बहाल की। उसने राज्य क्रिकेट संघों को निर्देश दिया कि वह 30 दिन के भीतर बीसीसीआई का संविधान अपनाए और उन्हें आगाह किया कि इसका पालन नहीं करने पर कार्रवाई का सामना करना होगा।