भीख मांगने वाला बुजुर्ग निकला करोड़पति व्यापारी, आधार कार्ड से हुई पहचान

आधार कार्ड की अनिवार्यता भले ही अभी देश में राजनीतिक जंग का मुद्दा बना हो। लेकिन इस सरकारी दस्तावेज ने एक बूढ़े व्यापारी को उसकी जिंदगी लौटा दी, साथ ही अहम मौकों पर अपनी अहमियत भी साबित कर दी। रायबरेली जिले के रालपुर कस्बे की गलियों में एक बुजुर्ग भिखारी पिछले 6 महीनों से भटक रहा था। जहां उसे खाना मिल जाता वो वहीं रात गुजार देता। किसी ने भी इस बुजुर्ग के बारे में पूछने की जरूरत नहीं समझी। एक दिन यह भिखारी जब रालपुर के अनंगपुरम स्कूल के आसपास भटक रहा था तो इस पर स्कूल के स्वामी भास्कर स्वरूप जी महराज की नजर पड़ी और उन्होंने इस बुजुर्ग को अपने घर में ले आया। स्वामी भास्कर स्वरूप जी महराज के लोगों ने इस बुजुर्ग को खाना दिया, उसके बाल कटवाये और उसे नहाने ले गये। इसी दौरान इस भिखारी को नहा रहे लोगों की नजर इसके गठरी पर पड़ी। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब इस गठरी को खोलकर देखा गया तो लोग चौक पड़े। इस गठरी में एक आधार कार्ड, और फिक्स डिपॉजिट के दस्तावेज थे। भिखारी जैसे दिखने वाले इस शख्स की गठरी में लगभग एक करोड़ 6 लाख रुपये की फिक्स डिपॉजिट के कागज थे। इस खुलासे पर स्वामी भास्कर समेत सभी लोग चौक गये।

तुरंत आधार कार्ड के जरिये इस बुजुर्ग की पहचान की गई। पता चला कि ये शख्स तमिलनाडु का एक अच्छा खासा बिजनेसमैन था। स्वामी भास्कर ने आधार कार्ड के जरिये ही मुथैया नादर नाम के इस व्यापारी के घर वालों से संपर्क साधा। जब मुथैया नादर की बेटी को इस घटना के बारे में पता चला तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ। पूरी पहचान बताने के बाद गीता ने भी कहा कि यह बुजुर्ग उसका ही बाप है। गीता तुरंत फ्लाइट से राय बरेली पहुंची, और अपने पिता की पहचान की। गीता ने कहा कि उसके पिता ट्रेन यात्रा के दौरान उससे बिछड़ गये थे। गीता के मुताबिक कुछ लोगों ने उनके पिता को जहरीला खाना खिला दिया, या फिर उसके पिता जहरखुरानी के शिकार हो गये, इसकी वजह से उनकी याददाश्त चली गई, और वे अपने बारे में कोई जानकारी नहीं दे सके। गीता अपने पिता को वापस ले गई है, इससे पहले उसने स्वामी भास्कर स्वरूप जी महराज और वहां के लोगों को दिल से धन्यवाद दिया। गीता ने कहा कि वह इनके उपकार को कभी नहीं भूल पाएगी।

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