मधुमेह, अस्थमा और थाइरोइड जैसे रोगों से बचने के लिए करें भुजंगासन, जानिए विधि और फायदे
योग सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। योगा व्यायाम का प्रकार है जो, नियिमित अभ्यास के माध्यम से शारीरिक और मानसिक अनुशासन सीखने में मदद करता है। योगा शरीर और मस्तिष्क के संबंधों में संतुलन बनाने में मदद करता है। आइए आज हम आपको ऐसे योगासन के बारे में बताते हैं जिसके रोजाना अभ्यास से मधुमेह, अस्थमा और थाइरोइड जैसे कई रोगों से आसानी से बचा जा सकता है। हम बात कर रहे हैं भुजंगासन की, इसे कोबरा पोज भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। चलिए जानते हैं भुजंगासन को करने की विधि और फायदों के बारे में-
भुजंगासन करने की विधि: चेहरे को नीचे की तरफ करके जमीन पर लेट जाइए। अब, अपने माथे को जमीन पर लगाएं। अपनी हथेली को बाहों के नीचे रखिए और स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि आपकी उंगलियां भुजाओं को छू रही हों। दोनों पैरों के बीच की दुरी को कम करें और पैरों को सीधा रखें। अब सांस लेते हुए शरीर के अगले भाग को नाभि तक उठाएं। अपने सिर को पीछे की तरफ हल्का सा ले जाते हुए सांस लीजिए। अपने हाथों से सीने और सिर पर आगे की तरफ दबाव डालिए, इस स्थिति में पीठ को मोडे रखिए। अपनी सांसों को रोके रखिए, ताकि सांप जैसी स्थिति दिखे। चेहरे को नीचे लाने से पहले इस स्थिति में 8 से 10 सेकेंड तक रहिए। इस क्रिया को शुरुआती दौर में 3 से 4 बार दोहराएं।
भुजंगासन के फायदे
– यह आसन पैंक्रियाज को सक्रिय करता है और सही मात्रा में इन्सुलिन के बनने में मदद करता है, मधुमेह से बचाता है। यह योगाभ्यास सम्पूर्ण शरीर में खिंचाव लेकर आता है और यही नहीं शरीर की चर्बी को कम करने में बहुत मददगार है।
– अगर इस आसान को ठीक तरह से किया जाए तो अस्थमा रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे फेफड़े में खिंचाव आता है और फेफड़े में ऑक्सीजन की प्रवेश क्षमता बढ़ जाती है।
– इस योगभ्यास को करने से बहुत सारी स्त्री रोगों जैसे सिफिलिस, गोनोरिया इत्यादि से बच सकते हैं।
– थाइरोइड एवं पैराथाइरॉइड ग्रंथियों को सक्रिय करने में भी यह योगासन मददगार साबित हो सकता है।
– यह आसन पाचन शक्ति को सुदृढ़ और प्रबल बनाए रखने में बेहद कारगर माना जाता है, जिससे कब्ज, अपच, गैस, अम्लीयता जैसे रोगों से छुटकारा मिलता है।
ध्यान रखें: जिनकी कमर में ज्यादा दर्द हो, गर्भवती महिलाएं, हर्निया और अलसर से पीड़ित रोगी और जिन्हें स्लिप डिस्क की शिकायत हो- ये लोग इस आसन का अभ्यास न करें। इसके अलावा यह आसना करने वाले लोग ध्यान रखें कि इसके बाद आगे झुकने वाले योग जैसे नौकासन, पवनमुक्तासन, हलासन, पर्वतासन आदि आसना न करें।