लोकसभा में बलात्कार के अपराध में मृत्युदंड तक की सजा देने समेत सख्त दंड का प्रावधान वाला बिल पेश

लोकसभा में सोमवार को दंड विधि संशोधन विधेयक 2018 पेश किया गया जिसमें 12 वर्ष से कम आयु की बालिका से बलात्कार के अपराध में मृत्युदंड तक की सजा देने समेत बलात्कार के अपराध में दोषियों को सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। लोकसभा में गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1972, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का और संशोधन करने वाले दंड विधि संशोधन विधेयक 2018 को पेश किया। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि सोलह वर्ष और 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की हाल की घटनाओं ने संपूर्ण राष्ट्र के अंतकरण को झकझोर दिया है। ऐसे में इन मामलों में विधिक उपबंधों के माध्यम से अधिक कठोर दंड अपेक्षित है।

ऐसा इसलिए है कि कुछ घटनाओं में अवयस्क बालिकाओं पर अत्यधिक क्रूरता और हिंसा के संकेत मिले हैं । चूंकि संसद का सत्र नहीं था और भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1972, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में आवश्यक संशोधन करने के लिए तुरंत कार्रवाई की जानी अपेक्षित थी, इसलिए राष्ट्रपति ने 21 अप्रैल 2018 को दंड विधि संशोधन अध्यादेश 2018 प्रख्यापित किया। इसमें कहा गया है कि बलात्कार के अपराध के लिए दंड को सात वर्ष के न्यूनतम कारावास से बढ़ाकर 10 वर्ष किया गया है और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास भी किया जा सकता है।

सोलह वर्ष से कम आयु की लड़की से बलात्कार के अपराध में सजा 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा । इसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष जीवनकाल के लिए कारावास से होगा और जुर्माना भी देना होगा । 12 वर्ष कम आयु की लड़की से बलात्कार के अपराध में सजा 20 वर्ष से कम नहीं होगी और इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकेगा । इसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष जीवनकाल के लिए कारावास से होगा और जुर्माना देना होगा। सोलह वर्ष से कम आयु की लड़की से सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए दंड आजीवन कारावास होगा जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माना देना होगा ।

12 वर्ष से कम आयु की लड़की से सामूहिक बलात्कार के अपराध के लिए दंड आजीवन कारावास होगा जिसका अभिप्राय उस व्यक्ति के शेष जीवनकाल के लिए कारावास होगा और जुर्माना देना होगा या मृत्युदंड होगा। इसमें कहा गया है कि बलात्कार के सभी मामलों के संबंध में जांच थाने में जानकारी देने से दो माह की अवधि में पूरी की जाएगी। बलात्कार के अपराध के मामलों में दोषसिद्धि या दोषमुक्ति के विरुद्ध अपील का, उसे फाइल किए जाने की तिथि से छह माह की अवधि में निपटारा करना होगा ।

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