BJP नेता ने हामिद अंसारी को भेजा संविधान, पूछा-क्या महिलाओं का हलाला करवाना चाहते हैं?

मुस्लिमों से जुड़े मामलों के लिए शरिया अदालतों के पक्ष में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के उतरने पर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। बीजेपी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। बीजेपी नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अनोखे ढंग से उनके कथन का विरोध जताया है। उपाध्याय ने फ्लिपकार्ट के जरिए भारतीय संविधान की ऑनलाइन पुस्तक खरीदकर हामिद अंसारी के पते पर भेजी है। कहा है कि लगता है आप संविधान भूल गए है, इस नाते एक बार किताब फिर से पढ़ लीजिए।

जनसत्ता से बातचीत में अश्विनी ने कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग फ्लिपकार्ट के जरिये भारतीय संविधान को उपराष्ट्रपति के पास भेजा है। भारत का संविधान उन्हें कल (रविवार) तक एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित घर पर मिल जायेगा।उपाध्याय ने उपराष्ट्रपति को संबोधित पत्र में पूर्व उपराष्ट्रपति से संविधान में निहित मौलिक अधिकार विशेषरूप से आर्टिकल 14, 15 और 21 तथा मौलिक कर्तव्य को पढ़ने का अनुरोध किया है। कहा है कि हामिद अंसारी बेहद पढ़े-लिखे व्यक्ति है, लेकिन जिन्ना और शरिया कोर्ट का समर्थन कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि वह संविधान भूल गये हैं।

बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय सुप्रीम कोर्ट में चुनाव सुधार से लेकर तीन तलाक, हलाला जैसे मुद्दों पर कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

उपाध्याय ने कहा कि शरिया के अनुसार तीन तलाक बहुविवाह हलाला मुताह मिस्यार जायज है जबकि यह कुप्रथाएं संविधान के आर्टिकल 14, 15 और 21 के खिलाफ हैं इसके बावजूद अंसारी शरिया कोर्ट चाहते हैं इस नाते उन्हें संविधान फिर से पढ़ना चाहिये।

बीजेपी नेता ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 51A के अनुसार देश के हर नागरिक का मौलिक कर्तव्य है कि वह राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान और राष्ट्रीय झंडे का सम्मान करे और देश की एकता और अखंडता के लिये कार्य करे लेकिन अंसारी भारत का बंटवारा कराने वाले और लाखों हिंदुओं की हत्या के जिम्मेदार जिन्ना का समर्थन कर रहे हैं। इससे पहले भी अंसारी केरल के प्रतिबंधित मुस्लिम संगठन के कार्यक्रम में भाग ले चुके हैं। इन बातों से संकेत मिलता है कि वह संविधान में लिखित मौलिक कर्तव्य भी भूल गये हैं।
बता दें कि पिछले हफ्ते ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस्लामी कानूनों से जुड़े मुद्दों के सुलझाने के लिए शरिया अदालत बनाने पर विचार करने की बात कही थी, जिसका सरकार ने पुरजोर विरोध किया। मगर, एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी इसकी वकालत पर उतर गए। उन्होंने कहा था कि कानून इस बात को मान्यता देता है कि हर समुदाय के अपने नियम हो सकते हैं। अंसारी ने तर्क दिया कि लोग सामाजिक परंपराओं और कानूनी व्यवस्था के बीच भ्रम में पड़ रहे हैं। उपाध्याय के मुताबिक शरिया कोर्ट को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जल्द ही बैठक करने वाला है और अंसारी भी उसी की भाषा बोल रहे हैं।

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