पार्टी की नीतियों से नाराज BJP MP का इस्तीफा, पहले कहा था- PM मोदी सवाल लेना पसंद नहीं करते

महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के नेता नाना पटोले ने शुक्रवार को घोषणा की कि उन्होंने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और पार्टी भी छोड़ दी है। भंडारा-गोंदिया से सांसद पटोले ने कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के कार्यालय को और भाजपा नेतृत्व को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। पटोले ने यह कदम गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान (शनिवार) से ठीक एक दिन पहले उठाया है। लिहाजा महाराष्ट्र और गुजरात की राजनीति में इसके कई मतलब निकाले जा रहे हैं। हाल के महीनों में भाजपा नेतृत्व के जोरदार आलोचक रहे पटोले ने कहा कि वह पार्टी इसलिए छोड़ रहे हैं, क्योंकि वह काफी दुखी और पार्टी द्वारा खुद को उपक्षेति महसूस कर रहे हैं। लोकसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपने के तत्काल बाद उन्होंने मीडिया से कहा, “जिस वजह से मैं पार्टी(भाजपा) में शामिल हुआ था, वह झूठा साबित हुआ। लेकिन अब मैं(इस्तीफा देने के बाद) अपने भीतर की बैचेनी से मुक्त हो गया हूं।” पटोले ने कहा कि उन्होंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह किस पार्टी में शामिल होंगे, लेकिन वह ‘किसी समान विचारधारा वाले राजनीतिक दल’ में शामिल होने पर विचार करेंगे।

नाना पटोले ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को भेजे एक पत्र में उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए कृषि, अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी जैसे 14 मुद्दों को कारण के तौर पर गिनाया। पटोले ने आरोप लगाया कि उन्होंने प्रधानमंत्री के समक्ष भी बार बार मुद्दे उठाए लेकिन उन्होंने उन्हें नजरंदाज कर दिया । बता दें कि नाना पटोले 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्होंने भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र से एनसीपी के कद्दावर नेता प्रफुल्ल पटेल को शिकस्त दी थी। इससे पहले बीजेपी सांसदों की एक बैठक में पटोले ने कहा था कि जब एक बार उन्होंने पीएम मोदी के सामने किसानों की खुदकुशी का मामला उठाया था तो पीएम नाराज हो गये थे।

नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में नाना पटोले ने तब कहा था, ”मोदी सवाल लेना पसंद नहीं करते और जब मैंने भाजपा सांसदों की बैठक में ओबीसी मंत्रालय और किसान आत्‍महत्‍या से जुड़े मुद्दे उठाए तो वे बेहद गुस्‍सा हो गए। जब मोदी से सवाल पूछे जाते हैं, तो वह आपसे पूछते हैं कि क्‍या आपने पार्टी मैनिफेस्‍टो पढ़ा है और विभिन्‍न सरकारी योजनाओं से रूबरू हैं।”

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