Budget 2018: व्यापारी से तीन गुना ज्यादा इनकम टैक्स भर रहा नौकरीपेशा आदमी, और बढ़ा बोझ
आम बजट 2018 लोकसभा में पेश हो चुका है। लोग अपने-अपने हिस्से आए फायदे-नुकसान की गणना कर रहे हैं। देश के मिडिल क्लास में बजट से निराशा है। वेतनभोगी कर्मचारियों में भी निराशा है। वित्त मंत्री ने एक तरफ स्टैन्डर्ड डिडक्शन का लॉलीपॉप थमाकर उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश की है दूसरी तरफ उनके इनकम टैक्स पर शिक्षा और स्वास्थ्य उपकर लगाकर बोझ बढ़ा दिया है। नए प्रस्ताव से हालात ऐसे बने हैं कि पांच लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वालों को मात्र 177 रुपये तक की बचत होगी जबकि इससे ऊपर की आमदनी वालों को पहले से ज्यादा टैक्स देने होंगे। वित्त मंत्री ने लोकसभा में यह भी बताया कि देश के नौकरीशुदा लोग व्यापारियों से तीन गुना ज्यादा इनकम टैक्स देते हैं।
लोकसभा में आम बजट 2018 पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नौकरीशुदा लोगों को इनकम टैक्स में कोई राहत तो नहीं दी लेकिन उन्होंने 40,000 रुपये का स्टैन्डर्ड डिडक्शन देकर उन्हें राहत के नाम पर थोड़ी सी खुशी थमाने की कोशिश की है। अपने बजट भाषण में जेटली ने कहा कि समाज में यह आम धारणा है कि वेतनभोगियों से बेहतर व्यक्तिगत व्यवसायियों की है। उन्होंने इनकम टैक्स कलेक्शन के संदर्भ में कहा कि समाज की यह धारणा सही नहीं दिखाई देती है क्योंकि वित्त वर्ष 2016-17 में जहां 1.89 करोड़ वेतनभोगियों ने कुल 1.44 लाख करोड़ रुपये का आय कर भुगतान किया था वहीं, 1.88 करोड़ व्यवसायियों ने कुल 48,000 करोड़ रुपये का इनकम टैक्स भरा था।
औसत रूप से देखें तो हरेक वेतनभोगी ने 76, 306 रुपये आयकर अदा किए जबकि व्यवसायियों ने औसतन मात्र 25,753 रुपये ही टैक्स जमा किए। मतलब साफ है कि इस देश में वेतनभोगियों पर आयकर की मार ज्यादा है। इसी बात का जिक्र वित्त मंत्री ने बजट भाषण में किया और वेतनभोगियों को राहत देने की बात कही मगर जब उन्होंने राहत के रूप में 40,000 रुपये का स्टैन्डर्ड डिडक्शन देने की बात कही तो यह वेतनभोगियों के लिए महज झुनझुना साबित हुआ।
सरकार ने 25 प्रतिशत कॉरपोरेट टैक्स रेट की छूट को अब 250 करोड़ रेवेन्यू वाली कंपनियों को देने का फैसला किया है। इसके अलावा 100 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली किसान उत्पादों वाली कंपनियों को टैक्स में 100 प्रतिशत छूट देने की घोषणा की गई है। इक्विटी ओरिएंटेड म्युचुअल फंड्स से होने वाली कमाई पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाने का ऐलान किया गया। मोबाइल फोन पर भी कस्टम ड्यूटी 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 20 पर्सेंट करने का ऐलान किया गया है। जेटली ने बताया कि टैक्सदाताओं की संख्या बढ़ रही है, लेकिन रेवेन्यू में इजाफा नहीं हो रहा। वित्त मंत्री ने बताया कि टैक्सदाताओं की संख्या 2014-15 में 6.47 करोड़ से बढ़कर 2016-17 में 8.27 करोड़ हो गई। वित्त मंत्री ने सरकार के नोटबंदी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि ईमानदार करदाताओं ने इस मुहिम को ईमानदारी का उत्सव समझ कर मनाया।