Budget 2018 Income Tax Slab: सेस जोड़ दें तो स्टैंडर्ड डिडक्शन घटा कर भी आपको देना पड़ सकता है ज्यादा इनकम टैक्स
देश के वेतनभोगी वर्ग को वित्त मंत्री अरुण जेटली के 2018 आम बजट से झटका लगा है। आम उम्मीदों से उलट सरकार ने टैक्स के मोर्चे पर कोई विशेष छूट नहीं दी है। इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, ट्रांसपोर्ट और मेडिकल खर्च के बदले 40 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के प्रावधान को लाया गया है। इसका मतलब यह है कि कुल आमदनी से 40 हजार रुपये घटाकर इनकम टैक्स का आकलन किया जाएगा। हालांकि, इनकम टैक्स पर सेस बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। वहीं, बुजुर्ग को बैंक जमा से मिलने वाले ब्याज पर छूट की सीमा को बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है। बता दें कि स्टैंडर्ड डिडक्शन 2005 में वापस ले लिया गया था। उसके बाद से ही टैक्सदाता हर साल यह उम्मीद करते रहे कि इसकी वापसी होगी। अधिकतर लोगों का मानना था कि इसे वापस लेना वेतनभोगी वर्ग के खिलाफ था। स्टैंडर्ड डिडक्शन वह रकम है जिसे टैक्स का आकलन करने के लिए कुल सालाना इनकम से घटा दिया जाता है। तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने इसे 2005-06 में हटा दिया था।
सरकार ने बताया है कि सैलरीड क्लास को स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा देने से राजस्व में 8,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी। हालांकि, 2018 में जो स्टैंडर्ड डिडक्शन वापस लाया गया है, वो देने के साथ साथ बहुत कुछ छीन भी रहा है। इसके आने के बाद ट्रांसपोर्ट भत्ता, मेडिकल रींबर्समेंट और अन्य भत्ते छिन जाएंगे। अभी तक 15 हजार रुपये तक का मेडिकल बिल हर वित्त वर्ष टैक्स फ्री होता है। वहीं, ट्रांसपोर्ट भत्ते के तौर पर कर्मचारियों को हर वित्त वर्ष 19200 रुपये की छूट मिलती है। इस तरह से टैक्स छूट वाली आय की सीमा 5800 रुपये बढ़ जाएगी। यानी अब ढाई लाख नहीं, बल्कि 2 लाख 55 हजार 800 रुपये तक की सालाना आमदनी टैक्स फ्री होगी। हालांकि, हर कर्मचारी कितना टैक्स बचाएगा, ये उसके टैक्स स्लैब पर निर्भर करेगा। अभी तक जो लोग 5 प्रतिशत टैक्स चुका रहे हैं, वे इस स्टैंडर्ड डिडक्शन के प्रावधान की वजह से टैक्स में 290 रुपये की छूट पाएंगे। 20 प्रतिशत टैक्स चुकाने वाले 1160 रुपये जबकि 30 प्रतिशत टैक्स छूट वाले 1740 रुपये की बचत कर सकेंगे।
हालांकि, इस बचत का आकलन करते वक्त इनकम टैक्स पर 3 प्रतिशत सेस को नहीं जोड़ा गया है। इस बार इसे बढ़ाकर 4 पर्सेंट कर दिया गया है। ऐसे में मुमकिन है कि 3 पर्सेंट से 4 पर्सेंट सेस करने से कर्मचारियों द्वारा चुकाए जाने वाला इनकम टैक्स असल में बढ़ जाए। जानकार मानते हैं कि सेस में बढ़त होने से टैक्स में इस बचत का लोगों को कोई फायदा नहीं मिलेगा। वहीं, जिन लोगों की इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा है, उन्हें स्टैंडर्ड डिडक्शन लगाने, बाकी भत्ते हटाने और सेस के इजाफे की वजह से ज्यादा टैक्स भरना होगा।