पीयूष गोयल को यूं ही नहीं दिया गया रेलवे जैसा अहम मंत्रालय, जानिए क्यों मोदी-शाह ने उन पर लगाया दांव
पीयूष गोयल देश के अगले रेल मंत्री होंगे। उन्हें प्रमोशन देकर रविवार को केंद्रीय मंत्री का दर्जा दिया गया है। लगातार हुए रेल हादसों के बाद सुरेश प्रभु ने इस्तीफे की पेशकश की थी। लेकिन पीयूष गोयल को इतना अहम मंत्रालय यूं ही नहीं मिला। बतौर ऊर्जा मंत्री उन्होंने शानदार काम किया। एक्सपर्ट्स के मुताबिक बीजेपी आलाकमान ने महसूस किया कि उन्होंने ऊर्जा और कोल क्षेत्र में सुधार लागू करने में बेहतरीन काम किया है। बिना किसी भ्रष्टाचार के कोयला ब्लॉक का आवंटन भी उन्हीं की देखरेख में किया गया था। यह भी देखा गया है कि उत्पादकता में भी सुधार आया है, साथ ही शॉर्ट सप्लाई घटी है, जिससे आयात में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कोल इंडिया की स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में जरूरी कदम उठाए। उनके कार्यकाल में बिजली उत्पादन क्षमता में सुधार हुआ है, खासतौर पर रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में। अनुमान है कि भारत का सौर ऊर्जा उत्पादन 18GW तक बढ़ सकता है। यह 2014 में गोयल के पद संभालने के समय से छह गुना ज्यादा है।
गोयल एेसे ऊर्जा मंत्री रहे हैं, जिनके कार्यकाल में ऐसे गांव जहां अब तक बिजली नहीं पहुंची थी, उनकी संख्या 4000 रह गई है। साल 2014 में यह 18000 थी। इसी साल वह पहली बार मंत्री बने थे। एेसे में 3 वर्षों में ही उनका कैबिनेट में आना एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। साल 2014 के चुनाव के दौरान गोयल को प्रचार, विज्ञापन और सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को साधने की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई और पार्टी आलाकमान की नजर उन पर पड़ी। वह एक सफल चार्टर्ड अकाउंटेंट और इंवेस्टमेंट बैंकर भी रह चुके हैं। साल 2016 में कैबिनेट फेरबदल के दौरान गोयल के नाम पर चर्चा हुई थी, तब माना जा रहा था कि अरुण जेटली को वित्त मंत्री के तौर पर रिप्लेस कर सकते हैं।