रोज लगता है कि घर लौटेंगे पापा

मुंबई हुए आतंकी हमले को भले ही नौ वर्ष बीत गए हों लेकिन पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को पकड़ने के प्रयास में सर्वोच्च बलिदान देने वाले पुलिस उपनिरीक्षक तुकाराम आंबले के परिवार को लगता है कि वे घर लौटेंगे। हमले की बरसी से पहले उनकी बेटी वैशाली आंबले नम आंखों से अपने पिता को याद करते हुए कहती हैं, ‘हमें हमेशा लगता है कि पापा किसी भी क्षण घर लौट जाएंगे, हालांकि हमें यह पता है कि वह अब कभी नहीं आएंगे।’ एमएड की पढ़ाई कर चुकी वैशाली शिक्षिका बनना

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बाखबर- रौद्र वीभत्स भयानक

कैसी प्यारी बानी है, कितने प्यारे बोल हैं कि चैनल में आकर कानों में जलतंरग बन जाते हैं! खबरों में बरसती घृणा भी आनंदकारी महसूस होती है और नंगी तलवार भी फूल की तरह कोमल नजर आती है! एक कहता है : ‘अगर किसी ने उंगली उठाई तो काट देंगे। अगर किसी ने हाथ उठाया तो काट देंगे।’ शीश, नाक और केश पहले ही काटने का आर्डर हो चुका है। अब ‘उंगली काटन लीला’ और ‘हाथ काटन लीला’ चल रही है। ‘काटन लीला’ वाले जानते हैं कि काटने की कहेंगे

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प्रसंगवश- घर बाहर के बीच

इधर कुछ सालों में महिलाओं को लेकर सरकार और समाज के नजरिए में कुछ फर्क आया है। घरेलू भूमिकाओं को छोड़ कर अध्यापन, बैंकिंग, आईटी और पत्रकारिता जैसे पेशों में उनकी मौजूदगी देखी जा सकती है, लेकिन नौकरी हो या व्यवसाय, दोनों क्षेत्रों में अभी लगता है कि खुद महिलाओं में कोई हिचक है। भले उनसे अपेक्षा है कि वे पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर काम करें, पर कई काम-धंधे हैं, जहां महिलाओं की उपस्थिति नगण्य है। यह बेवजह नहीं है। इसके पीछे सामाजिक दबाव हैं, असुरक्षा का

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वक्त की नब्ज- खौफ का साया

फिर लौट कर आई है आज वह मनहूस बरसी और फिर वही सवाल हम पूछने पर मजबूर हैं, जो हम पूछते आए हैं 26 नवंबर, 2008 के बाद, जब भी यह बरसी लौट कर आई है। एक दशक गुजर जाने के बाद भी सवाल बहुत सारे हैं और जवाब बहुत थोड़े। पाकिस्तान के सैनिक शासक जानते हैं कि हम लाचार हैं, सो इस बरसी के दो दिन पहले हाफिज सईद को लाहौर की एक अदालत ने रिहा किया इस आधार पर कि उसके खिलाफ ठोस सबूत पेश नहीं हुए हैं

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दूसरी नजर- वे गरीबों को एजेंडे पर ले आर्इं

उन्नीस नवंबर, 2017 बगैर राष्ट्रीय स्तर पर मनाए ही बीत गया। यह हमारे इतिहास-बोध का एक दुखद बिंब है। यह राज्य की कथित तटस्थता पर एक मौन टिप्पणी है। यह शर्मनाक है। यह तारीख भारत की तीसरी और छठी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सौवीं जयंती थी। उन्हें बहुत-से लोग प्यार करते थे और उनसे नफरत करने वालों की संख्या भी कम नहीं थी, पर जब तक वे जीवित थीं उन्हें कभी भी नजरअंदाज नहीं किया गया। हर प्रधानमंत्री की सफलताएं और विफलताएं होती हैं। दोनों का आकलन समय-विशेष की पृष्ठभूमि

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पश्चिम की तरफ देखने की प्रवृत्ति

सौ वर्षों की औपनिवेशिक गुलामी का सांस्कृतिक असर सर्वाधिक गहरा पड़ा है। राजनीतिक गुलामी से तो हम सत्तर साल पहले मुक्त हो गए, पर सांस्कृतिक गुलामी की निरंतरता बनी हुई है। आज भी भारतीय बुद्धिजीवियों और साहित्यकारों में अपने देश के साहित्य, संस्कृति और इतिहास को पश्चिमी नजरिए से देखने की प्रवृत्ति हावी है। हद तो तब हो जाती है जब पश्चिम में लिखे गए साहित्य और उस साहित्य के आधार पर विकसित साहित्य-सिद्धांतों के निकष पर भारतीय साहित्य को कसा जाता है। यह प्रवृत्ति अन्य भारतीय भाषाओं में कम

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चर्चा- भारतीय साहित्य विश्व साहित्य क्यों नहीं

यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि हिंदी या फिर भारतीय साहित्य में ऐसे रचनाकार क्यों नहीं पैदा हो पाते, जिन्हें विश्व साहित्य में मान-सम्मान हासिल हो पाता हो। उन्हें विश्व साहित्य के रचनाकारों के बरक्स रख कर देखा जाता हो। फिर यह भी कि हमारे रचनाकार बार-बार पश्चिम की तरफ देखने पर क्यों मजबूर होते हैं। क्या वहीं सब कुछ श्रेष्ठ लिखा जा रहा है? खासकर हिंदी आलोचना में यह प्रवृत्ति घर कर गई लगती है कि बिना किसी पश्चिमी विद्वान की बात का उद्धरण दिए, वह अपनी बात

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गाजियाबाद निगम चुनाव के लिए मतदान आज

विक्रांत चौधरी जिले में आज स्थानीय निकाय चुनाव के लिए मतदान होगा, जिसमें 2162088 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इस चुनाव में मेयर से लेकर पार्षदों और नगर पालिका व नगर पंचायत चेयरमैन व सभासदों के लिए मतदान होगा, जिसमें मेयर पद की 13 प्रत्याशियों समेत 2198 दिग्गजों की परीक्षा होगी। मेयर के अलावा चेयरमैन और पार्षदों व सभासदों का भविष्य भी आज ही पिटारे में बंद हो जाएगा। मेयर पद के लिए 13 महिला प्रत्याशी, 100 वार्डों के लिए 808 पार्षद, चार नगर पालिकाओं के लिए 41 दिग्गज,

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आरक्षण पर रैलियां, हरियाणा में तनाव, तेरह जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद

हरियाणा में जाट और गैर-जाट के बीच छिडे़ विवाद में प्रदेश सरकार रविवार को एक बार फिर से अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरेगी। जींद में भाजपा सांसद राजकुमार सैनी और जसिया में जाट नेता यशपाल मलिक की रैली को देखते हुए शनिवार को जहां प्रदेश के 13 जिलों में इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दी गर्इं, वहीं कई जिलों को संवेदनशील घोषित करते हुए धारा 144 लागू कर दी गई है। राज्य के पुलिस महानिदेशक और गृहसचिव ने पुलिस कर्मियों व अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी

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आतंकवादियों ने शोपियां में जवान को अगवा कर हत्या की, उपमुख्यमंत्री ने कहा- मानवता के खिलाफ अपराध

दक्षिणी कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों ने प्रादेशिक सेना के 23 वर्षीय एक जवान का अपहरण करने के बाद उसकी हत्या कर दी। जवान उस समय छुट्टी पर था। सेना के एक अधिकारी ने बताया कि जवान का गोली लगा शव शोपियां के वतमुल्लाह कीगम में एक बगीचे से बरामद किया गया। उन्होंने बताया कि मृत जवान की पहचान इरफान अहमद डार के रूप में हुई है। वह शोपियां में सेजान के रहनेवाले थे। श्रीनगर में रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने कहा कि डार उत्तरी कश्मीर के बांदीपुरा

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कहानी- गलती का अहसास

उस दिन जब खाने की छुट्टी के समय राजेश चुपचाप अपना खाना खा रहा था, तभी मनोज खेल के मैदान से दौड़ता हुआ उसके पास आकर बोला- ‘हम लोग कबड्डी खेलने जा रहे हैं। तुम्हें भी खेलना हो तो चलो।’ ‘नहीं, मैं नहीं चलूंगा। अभी मुझे पढ़ना है।’ राजेश ने कहा। यह सुन कर मनोज जोर से हंसता हुआ बोला- ‘अरे, तू पिद्दी-सा क्या कबड्डी खेलेगा? कहीं जरा-सा हाथ भी लग गया किसी का, तो वहीं गिर जाएगा। तू तो बस किताबों से ही खेल!’ यह कहते हुए वह मैदान

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जब गाड़ी की बनावट बदलें

आजकल युवाओं में मोटरसाइकिलों और कारों की बनावट बदल कर चलाना फैशन का रूप ले चुका है। गाड़ियों के हॉर्न और पहिए बदलना तो आम बात है, उनकी मूल संरचना को बदल कर किसी महंगी और विदेशी गाड़ी जैसा रंग-रूप देना, उन पर कलात्मक डिजाइन करवा लेना, उन्हें शिकारी या रेस में हिस्सा लेने वाली गाड़ियों की धज में पेश करना शगल बनता जा रहा है। मगर किसी भी गाड़ी की मूल बनावट और संरचना के साथ कितना मुफीद हो सकता है, उसके क्या-क्या खतरे हो सकते हैं, बता रहे

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सेहत-दिल को रखें दुरुस्त

आजकल दौड़-भाग भरी जिंदगी ने लोगों का सुकून छीन लिया है। आज सबसे बड़ी समस्या है कि सेहत का खयाल कैसे रखें। दिल का दौरा आज एक आम समस्या हो गई है। खासकर भारत जैसे विकासशील देशों में यह बीमारी हर साल लाखों लोगों की जान ले लेती है। यों दिल का दौरा कभी भी, किसी को भी पड़ सकता है। किसी भी उम्र में यह आपको शिकार बना सकता है। इसका सीधा संबंध जीवनशैली से है, पर तनाव, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी समस्याओं में दिल के रोगों का खतरा

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आधी दुनिया- चमकती जिंदगी का अंधेरा

दुनियाभर में ग्लैमर का बाजार बहुत तेजी से फैल रहा है। पर अरबों-खरबों के इस बाजार में मानव शक्ति पर लागू होने वाले नियम दम तोड़ रहे हंै। सबसे चिंताजनक बात तो यह है कि नाबालिग लड़कियां ग्लैमर के बाजार का तेजी से शिकार बन रही हैं। काम का बोझ और तनाव इन मॉडलों को अपनी जिंदगी खत्म करने को मजबूर कर रहा है। हाल ही में चीन के शंघाई शहर में चौदह साल की रूसी मॉडल व्लादा डिजूबा ने बारह घंटे लगातार काम करते हुए दम तोड़ दिया। डिजूबा

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भाषा- सिकुड़ती मातृभाषाएं

पिछले दिनों केरल जाना हुआ। वहां की दुकानों पर लगे बोर्ड और होर्डिंग्स देख कर हैरानी हुई। अधिकतर दुकानों, दफ्तरों, जगहों के नाम दिल्ली की तरह ही अंगरेजी में लिखे थे। मलयालम में कभी-कभार ही कोई बोर्ड लगा दिखता था। हमें लेने आर्इं हमारी मित्र स्थानीय सरकारी कॉलेज में हिंदी पढ़ाती हैं। जब उनसे पूछा कि यहां सब जगह मलयालम की जगह अंगरेजी क्यों दिखाई दे रही है? तो उन्होंने बताया कि जब तक लोगों के पास पैसा नहीं आता, वे मलयालम माध्यम के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हैं,

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