कहानी- नोटा जान
पंकज सुबीर डोर बेल की आवाज आई, तो उसने खिड़की के पल्ले को जरा-सा खोल कर बाहर देखा। बाहर कोई महिला दरवाजे पर खड़ी थी। दरवाजा खोला, तो शहर के किन्नरों की मुखिया बिंदिया थी। ‘नमस्ते साहब, मैडम जी को भेज दीजिए, कह दीजिए कि बिंदिया आई है दीवाली का इनाम लेने।’ बिंदिया ने अदब के साथ कहा। ‘बिंदिया, तुम्हारी मैडम जी तो बाजार गई हैं, दीवाली का सामान-वगैरह खरीदने।’ उसने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा। ‘ओ…! आज तो मेरी किस्मत ही खराब है…।’ बिंदिया ने चूड़ियों से भरे हाथ
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