प्रसंगवश- घर बाहर के बीच

इधर कुछ सालों में महिलाओं को लेकर सरकार और समाज के नजरिए में कुछ फर्क आया है। घरेलू भूमिकाओं को छोड़ कर अध्यापन, बैंकिंग, आईटी और पत्रकारिता जैसे पेशों में उनकी मौजूदगी देखी जा सकती है, लेकिन नौकरी हो या व्यवसाय, दोनों क्षेत्रों में अभी लगता है कि खुद महिलाओं में कोई हिचक है। भले उनसे अपेक्षा है कि वे पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर काम करें, पर कई काम-धंधे हैं, जहां महिलाओं की उपस्थिति नगण्य है। यह बेवजह नहीं है। इसके पीछे सामाजिक दबाव हैं, असुरक्षा का
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