जय हिंद: सुभाष चंद्र बोस ने नहीं, आइएनए के मुस्लिम मेजर ने दिया था नारा

मध्य प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री विजय शाह ने सितंबर में स्कूलाें में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ‘जय हिंद’ को अनिवार्य करने की घोषणा की थी। शुरुआत में इसे सिर्फ सतना जिले के स्कूलों के लिए अमल में लाया गया था। बाद में राज्य के सभी 1.22 लाख सरकारी स्कूलों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया था। ऐसा माना जाता है कि ‘जय हिंद’ को सबसे पहले नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सैनिकों के लिए व्यवहार में लाया और उसे लोकप्रिय बनाया था। लेकिन, नरेंद्र लूथर ‘लेंगेनडॉट्स ऑफ

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जानिए शशि कपूर के परिवार के बारे में, कौन-कौन हैं और क्या करते हैं

वेटरन एक्टर शशि कपूर का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 साल के थे। वह बॉलीवुड एक्टर पृथ्वीराज कपूर के सबसे छोटे बेटे थे। उनका असली नाम बलबीर राज कपूर था। उन्होंने बतौर चाइल्ड एक्टर अपने भाई राज कपूर की फिल्म आवारा और आग में काम किया था। पृथ्वीराज कपूर की सलाह में उन्होंने गोडफ्रे कैंडल के थियेटर ग्रुप शेक्स्पिरियाना से जुड़ गए। इसी दौरान अलग-अलग देशों का दौरा करने के दौरान शशि को गोडफ्रे की बेटी ब्रिटिश एक्ट्रेस जेनिफर

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शश‍ि कपूर की लव स्‍टोरी: जेन‍िफर को देखते ही हो गया था प्‍यार, भाई की मदद से हुई थी पहली मुलाकात

वेटरन एक्टर शशि कपूर का सोमवार को निधन हो गया। शशि कपूर 79 साल के थे और काफी वक्त से बीमार चल रहे थे। शायद इसी वजह से उन्होंने काफी वक्त से सार्वजनिक जीवन छोड़ दिया था। शशि कपूर अपने वक्त के सबसे हैंडसम अभिनेताओं में से एक थे। खूबसूरत लड़कियां उन पर जान छिड़कती थीं, लेकिन उनका दिल आया एक विदेशी एक्ट्रेस जेनिफर केंडल पर। शशि कपूर ने जेनिफर के साथ अपनी लव स्टोरी के परवान चढ़ने की स्टोरी खुद शेयर की है। आइए उनके ही शब्दों में जानते

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पैसों की तंगी में जब 4 आने लेकर निकल पड़े जॉनी वॉकर, पुराने कंडक्टर दोस्त ने की ऐसे मदद

बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी यानि जॉनी वाकर बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकार और हास्य अभिनेता थे। दर्शकों को हंसाने-गुदगुदाने वाले जॉनी वाकर 29 जुलाई, 2003 को सभी को रोता छोड़ गए थे। जॉनी वाकर एक अच्छे एक्टर के साथ-साथ अच्छे इंसान भी थे। गरीब परिवार में जन्में जॉनी वाकर ने अपने जीवन में कई बड़ी मुश्किलों को सामना भी हंसते-हंसते किया था। आइए आज हम उनके जीवन से जुड़ा एक किस्सा बताते हैं जब पैसों की तंगी में उनके पुराने कंडक्टर दोस्त ने उनका साथ दिया था। दरअसल यह वाकया उन

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जरा याद करो कुर्बानी: 9 साल बीते, एक दिन नहीं गुजरा जब पापा याद ना आए- 26/11 की बरसी पर बोलीं शहीद की बेटी

मुंबई हमले के समय आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने की कोशिश में शहीद हुए पुलिसकर्मी तुकाराम ओम्बाले की बेटी का कहना है कि इस आतंकी हमले को भले ही नौ वर्ष बीत गए हों, लेकिन अब भी परिवार को ऐसा लगता है कि वह घर लौटेंगे। हमले की बरसी से पहले वैशाली ओमबाले नम आंखों से अपने पिता को याद करते हुए कहती हैं, ‘‘हम महसूस करते हैं कि पापा किसी भी क्षण घर लौट जाएंगे, हालांकि हमें यह पता है कि वह अब कभी नहीं आएंगे।’’ एम-एड की

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RARE VIDEO: जब 200 किलो के किंग कॉन्ग पर भारी पड़े थे दारा सिंह, देखें ऐतिहासिक मुकाबले का वीडियो

पहलवान से अभिनेता बने दारा सिंह को 200 किलो के ऑस्ट्रेलियन किंग कॉन्ग के साथ कुश्ती में मात देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। रविवार को दारा सिंह का जन्मदिवस था। वह 12 जुलाई 2012 को हमें छोड़ कर चले गए थे। अपने प्रतिद्वंदी की तुलना में तकरीबन आधे वजन वाले दारा सिंह ने किंग कॉन्ग को दोनों हाथों से उठा कर हवा में लहरा दिया। इससे वह इतना घबरा गया कि रेफरी से मदद के लिए चिल्लाने लगा। जब रेफरी दारा सिंह को रोकने के लिए आगे आया

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ब्रह्मपुत्र का महागायक

अजयेंद्रनाथ त्रिवेदी गुवाहाटी विश्वविद्यालय के पहले भवन का उद्घाटन करने राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद 21 फरवरी, 1956 को पधारे थे। कार्यक्रम के आरंभ में भूपेन हजारिका ने खासतौर से इस मौके के लिए लिखा अपना गीत गाया- ‘जिलिकाबो लुइतरे पार/ अंधारर भेटा भांगी प्राग्ज्योतिषत बय जेउती निजरारे धार/ शत-शत बंतिरे ज्ञानरे दिपालिए जिलिकाबो लुइतर पार…।’ बाद में यही गीत गुवाहाटी विश्वविद्यालय का कुलगीत बना।  इन शब्दों के साथ एक कलाकार लुइत (ब्रह्मपुत्र) के तट पर जिलिकाने (जगमगाने) की अपनी अदम्य इच्छा प्रकट कर रहा था। समय ने सिद्ध कर दिया कि

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