प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ़्तारी को अवैध ठहराने से क्या कुछ बदलेगा?

भारत की सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद बुधवार को न्यूज़क्लिक वेबसाइट के एडिटर-इन-चीफ़ प्रबीर पुरकायस्थ जेल से रिहा हो गए. अदालत के मुताबिक़ पुरकायस्थ को उनकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में लिखित में बताया जाना चाहिए था जो नहीं किया गया. इसी आधार पर अदालत ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था. उन्हें ग़ैरक़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए एक्ट, 1967 के तहत गिरफ़्तार किया गया था. यूएपीए एक्ट के तहत किसी भी व्यक्ति को बहुत मुश्किल से ज़मानत मिलती है. विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम
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