अमेरिकी थिंक टैंक ने खारिज की वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट, कहा- सर्वे के गलत तरीके के चलते भारत की रैंकिंग में दिखी बड़ी उछाल
अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फार डेवलपमेंट (CDG) ने विश्व बैंक की वह रिपोर्ट खारिज कर दी है, जिसमें ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैकिंग में भारत को जर्बदस्त उछाल मिली थी। संस्था ने विश्व बैंक की रिपोर्ट को भ्रामक करार देते हुए सर्वे के तरीकों पर सवाल उठाए हैं। कहा है कि विश्व बैंक की रिपोर्ट ने गलत प्रचार किया। अमेरिकी थिंकटैंक ने विश्व बैंक की रिपोर्ट की क्रास चेकिंग करते हुए अपनी वेबसाइट पर ब्लॉग के जरिए इसके बारे में जानकारी प्रकाशित की है। विश्व बैंक की रिपोर्ट पर पहले भी घमासान मच चुका है, जब इसके मुख्य अर्थशास्त्री पॉल रोमर ने राजनीतिक स्तर से रैकिंग में छेड़छाड़ की बात कहते हुए जनवरी में इस्तीफा दे दिया था। हालांकि विश्व बैंक ने बचाव में यह कहा था कि पिछले चार साल की रैकिंग की फिर से जांच होगी। विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग रैकिंग पर सवाल उठाने वाली यह संस्था वैश्विक स्तर पर गरीबी और असमानता से जुड़े मुद्दों पर व्यापक अध्ययन के लिए जानी जाती है।
Historic jump in ‘Ease of Doing Business’ rankings is the outcome of the all-round & multi-sectoral reform push of Team India. pic.twitter.com/DhrEcuurgi
— Narendra Modi (@narendramodi) October 31, 2017
विश्व बैंक की रिपोर्ट में क्या रही खामीः सेंटर फॉर डेवलपमेंट ने कहा है कि 2014 के बाद विश्व बैंक ने रैकिंग तय करने के पैरामीटर चेंज कर दिए। नए पैरामीटर के हिसाब से भले ही भारत की रैकिंग अच्छी दिखती है, मगर हकीकत इससे उलट है। संस्था ने आरोप लगाया कि विश्व बैंक ने अपनी वेबसाइट पर भ्रामक हेडिंग लगाकर संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित की, जिससे ईज ऑफ डूूइंग में भारत की नकली कूद का प्रचार किया। जब रिपोर्ट पर विवाद हुआ तो वर्ल्ड बैंक की ओर से सफाई देने की कोशिश भले हुई, मगर उन सब पर वो हेडलाइऩ भारी पड़ी। सेंटर फार ग्लोबल डेवलपमेंट ने विश्व बैंक की मेथेडोलॉजी( प्रणाली) में परिवर्तन से भारत की रैकिंग में हुए फर्क के बाबत कहा, ‘भारत ने पुरानी पद्धति से 2014 में 81.25 और नई पद्धति से 65 अंक अर्जित किया। इस नाते हमने हर वर्ष 1.25 (= 81.25 / 65) के हिसाब से गुणा करके रैकिंग निकाली। कंसिस्टेंट मेथेडोलॉजी एंड फिक्स्ड सैंपल ऑफ कंट्रीज के तरीके से जब जांच हुई तो पता चला कि भारत की रैकिंग में 2017 से 2018 के मुकाबले सिर्फ सात अंक का उछाल आया है। यानी भारत 141 से 134 पर पहुंचा है। जबकि विश्व बैंक ने आधिकारिक रूप से भारत की रैकिंग 130 से 100 पर पहुंचनी दिखाई है।’
सेंटर फार ग्लोबल डेवलपमेंट ने वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट का परीक्षण कर हरे रंग में अपनी रिपोर्ट जारी की है
वर्ल्ड बैंक की क्या थी रिपोर्टः पिछले साल अक्टूबर 2017 में विश्व बैंक ने भारत को 100 रैकिंग दी थी। सालाना रिपोर्ट ‘डूइंग बिजनेस 2018: रिफार्मिंग टू क्रिएट जॉब्स’ में विश्व बैंक ने कहा था कि भारत की रैंकिंग 2003 से अपनाये गये 37 सुधारों में से करीब आधे का पिछले चार साल में किये गये क्रियान्वयन को प्रतिबिंबित करता है। कारोबार सुगमता के 10 संकेतकों में से आठ में सुधारों को क्रियान्वित किया गया। इसको लेकर भारत को पहली बार शीर्ष 100 देशों में जगह मिली। जबकि 2017 में भारत को 190 देशों की सूची में 130 वें स्थान पर रखा था। 100 वीं रैंक मिलने के बाद मोदी सरकार ने इसको लेकर काफी प्रचार भी किया। हाल में दावोस के दौरे के दौरान भी मोदी ने विश्व बैंक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि धरती का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
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