झारखंड में अधिकारियों का कारनामा- राज्यपाल की बनाई कमेटी को बिना इजाजत बदल दिया

भाजपा शासित राज्य झारखंड में अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आयी है। जानबूझ कर की गई यह लापरवाही यह बताने का काफी है कि अधिकारी किस तरह शासन व्यवस्था में अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। यह मामला स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा हुआ है। दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने राज्यपाल की बनाई कमेटी ही चुपके से बदल दिया। सात सदस्यीय दल की जगह पांच लोगों को रखा गया। कई महत्वपूर्ण लोगों को कमेटी से बाहर कर दिया गया, ताकि वे अपने पसंद के व्यक्ति को निदेशक के पद पर बहाल कर सकें।

दैनिक जागरण के अनुसार, वर्ष 2009 में रिनपास (रांची न्यूरो-मनोचिकित्सा और सहयोगी विज्ञान संस्थान) निदेशक की नियुक्ति के लिए राज्यपाल के आदेश से एक कमेटी का गठन हुआ था। बाद में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने चुपके से इसमें बदलाव कर दिया। जबकि नियमानुसार, कैबिनेट की अनुमति से ही इसमें बदलाव हो सकता था या फिर मुख्यमंत्री से घटनोत्तर स्वीकृति लेनी थी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया। इसका असर ये हुआ कि झाररखंड के प्रतिष्ठित संस्थान रिनपास को निदेशक नहीं मिल रहे हैं। बार-बार विज्ञापन निकालना पड़ रहा है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की इस लापरवाही के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। जिन दो सदस्यों को हटाया गया है, उनमें विकास आयुक्त और निमहांस निदेशक शामिल हैं। निमहांस देश का एक बड़ा संस्थान है, जहां मनोरोगिरयों का इलाज होता है। रिनपास में भी मनोरोगियों का इलाज होता है। इस वजह से निमहांस के निदेशक को कमेटी में शामिल किया गया था। इन दोनों के नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग का वर्चस्व हो जाता और वे निदेशक के पद पर अपने खास व्यक्ति को बहाल कर सकते थे।

गौरतलब है कि झारखंड में राष्ट्रपति शासन के दौरान 5 अक्टूबर 2009 को राज्यपाल की ओर से अनुशंसित कमेटी का गठन किया गया था। इसके जिम्मे रिनपास के निदेशक के चयन का काम था। बाद में वर्ष 2015 में इस कमेटी में बदलाव कर दिया। बता दें कि इससे पहले भी रिनपास में निदेशक बहाली को लकर कई तरह की गड़बड़ियां सामने आयी थी और मामला कोर्ट में है। इस विवाद में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ भी कोर्ट ने संज्ञान लिया है।

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