उत्तरी दिल्ली नगर निगम स्कूलों के बच्चे नशे की चपेट में, जांच में 381 बच्चे शिकार पाए गए
उत्तरी दिल्ली नगर निगम का शिक्षा विभाग बच्चों को नशे का आदी बनने से रोकने में विफल हो रहा है। नशे की समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए निगम के 85 स्कूलों के 16817 छात्रों की जांच की गई जिसमें 381 बच्चे नशीले पदार्थ के शिकार पाए गए। वे बीड़ी, सिगरेट, स्मैक पीने के अलावा बल्कि पेट्रोल, ग्रीस आदि सूंघकर नशा भी करते हैं। निगम स्कूलों के इन नौनिहालों की नशे की लत को छुड़ाने के लिए आठ सलाहकारों को ठेके पर लगाया गया है। समस्या विकराल रूप धारण न करे लिहाजा निगम ने इसे गंभीरता से लेते हुए 172 सलाहकारों को रखने की औपचारिकताएं पूरी कर रहा है।
दिल्ली नगर निगम प्राथमिक स्कूलों का संचालन करता है। इन स्कूलों में पांचवीं कक्षा तक बच्चे पढ़ते हैं। उत्तरी निगम के 750 स्कूलों में इस समय करीब 3.50 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। निगम सूत्रों का कहना है कि बाल न्यायालय समिति की 18 जनवरी की बैठक में निगम स्कूलों के मुद्दे पर गंभीर रूप से चर्चा हुई। इस बैठक में रखी गई रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015-16 में 11 बच्चे, 2016-17 में 17 और 2017-18 में 200 से ज्यादा बच्चे नशे की चपेट में थे। इन बच्चों में ज्यादातर मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी और जहांगीरपुरी के स्कूलों में बच्चे पाए गए। इन बच्चों का भविष्य खराब न हो इसलिए 503 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। शिक्षकों के साथ पहले 33 और अब 40 नर्सों को भी इस काम में लगाया गया है। इस साल 30 छात्रों को ऐसी आदतों से छुटकारा दिलाकर सामान्य जीवन जीने ओर अग्रसर किया गया है।
निगम की शिक्षा समिति के अध्यक्ष जोगी राम जैन ने कहा कि इस प्रकार के मामले सामने आने के बाद हमने तुरंत निगम के स्वास्थ्य विभाग को जांच के आदेश दिए। इन बच्चों की काउंसलिंग की जा रही और उन्हें इस प्रकार की लत से छुड़ाने की कोशिश की जा रही है। जबकि निगम शिक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष रामकिशन वंशीवाल ने बताया कि चूंकि कोर्ट के निर्देश पर निगम के प्राथमिक स्कूलों में भी 15 साल तक के बच्चों को लेना अनिवार्य है लिहाजा वजीराबाद और मजनू का टीला इलाके में कुछ बंग्लादेशी बच्चों नामांकन लेना पड़ता है।