बोधगया कांड में चौंकाने वाला खुलासा: बाल भिक्षुओं को बनाया गया सेक्स वर्कर और कराते थे न्यूड डांस
मीडीया रिपोर्ट के अनुसार बिहार के बोधगया कांड में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पुलिस ने पाया है कि बौद्ध चिंतन केंद्र (मठ) में बाल भिक्षुओं को कथित तौर पर सेक्स वर्कर बना कर रखा जाता था। उन्हें जबरन वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं के साथ न्यूड डांस कराया जाता था। शोषण का शिकार होने वाले इन बच्चों को खास किस्म की ट्रेनिंग के नाम पर देश के उत्तर पूर्वी राज्यों से लाया जाता था। ज्यादातर बच्चे इनमें त्रिपुरा और असम से होते थे। यही नहीं, कुछ बाल भिक्षुओं को यहां से कोलकाता और अन्य जगहों पर क्लाइंट्स के पास भेजा जाता था।
‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) के एक सदस्य ने बताया, “अगर बच्चों ने प्राज्न ज्योति नोविस स्कूल और मेडिटेशन सेंटर पर वरिष्ठ भिक्षुओं और गुरुओं की बात स्वीकारने से मना कर दिया होता, तो शायद उन्हें मार-पीट कर सजा दी जाती।” बता दें कि इस मठ का संचालन बांग्लादेशी बौद्ध भिक्षु भांटे संघप्रिये सुजॉय करता था, जिसे गिरफ्तार किया जा चुका है। अधिकारी के अनुसार, कुछ बार तो बच्चों को कमरे में बंद कर के रखा जाता था, जहां वे खाना-पानी से वंचित रखे जाते थे। रात में उन्हें यहीं पर वरिष्ठ भिक्षुओं के साथ जबरन न्यूड डांस कराया जाता था।
मठ में 15 बच्चों संग प्रताड़ना के इस मामले पर गया के एसएसपी राजीव मिश्रा ने गुरुवार (30 अगस्त) को जांच के लिए एसआईटी गठित की थी, जिसकी कमान बोधगया के डिप्टी एसपी रमन कुमार चौधरी के पास है। मठ के संचालक को बुधवार (29 अगस्त) को गिरफ्तार किया गया था। उस पर दर्जन भर से अधिक बाल भिक्षुओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप था। अगले दिन उसे गया स्थिल स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में गया सेंट्रल जेल भेज दिया गया।
उधर, पीड़ित बच्चों का गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एएनएमएमसीएच) में मेडिकल कराया गया। उनमें से चार को न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करने के लिए पेश किया गया। ये सभी बच्चे आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों से ताल्लुक रखते हैं।
पीड़ितों के अभिभावकों ने अंग्रेजी अखबार को बताया, “बच्चों को बोधगया स्थित मठ में ट्रेनिंग के संबंध में भेजने के लिए हर अभिभावक को 1000 रुपए दिए गए थे।” वहीं, पुलिस इस मामले की हर दृष्टिकोण से जांच कर रही है, जबकि अंतराष्ट्रीय बुद्ध परिषद (आईबीसी) ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे धार्मिक शिक्षा की आड़ में किया जा रहा बर्बर अपराध बताया है।