Christmas 2017 : देशभर में 25 दिसंबर को रहेगी क्रिसमस की धूम, जानिए इससे जुड़ी बातें
क्रिसमस का पर्व 25 दिसंबर को पूरे विश्व में बड़े हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है। यह पर्व ईसाई धर्म के प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन एक-दूसरे को उपहार देने की परंपरा होती है। पूरी दुनिया में इस त्योहार को 25 दिसंबर को मनाया जाता है लेकिन जर्मनी में 24 दिसंबर को ही इससे जुडे समारोह शुरू हो जाते हैं। इस पर्व को पूरी दुनिया में एक धार्मिक और पारंपरिक पर्व के रुप में सेलिब्रेट किया जाता है। क्रिसमस के दिन सांता क्लॉज का भी अलग ही महत्व होता है। कहा जाता है कि सांता क्लॉज इस दिन बच्चों के लिए ढेर सारे गिफ्ट्स लेकर आते हैं। सांता क्लॉज को क्रिसमस का पिता कहा जाता है। जो केवल क्रिसमस डे पर ही आते हैं।
सांता क्लॉज का चलन चौथी सदी में तुर्किस्तान के शहर के संत निकोलस के नाम पर शुरू हुआ। जो गरीब बच्चों को गिफ्ट दिया करते थे। क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे बड़ा त्योहार होता है। यह पर्व प्रभु ईसा मसीह के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है और यह 24 दिसंबर की मध्यरात्रि से ही शुरू हो जाता है। गोवा में भारत के सबसे बड़े चर्च ‘सी कैथेड्रल’ में क्रिसमस के मौके पर खास कार्यक्रम किए जाते हैं। यहां हजारों लोग चर्च में एकत्रित होकर प्रार्थना करते हैं।
इस दिन ईसाई लोग प्रभु ईशु के सामने अपनी गलतियों के लिये माफी मांगते हैं। ईसा मसीह के गुणगान में लोग भजन गाते हैं। इसके बाद बच्चों को क्रिसमस के गिफ्ट्स बांटे जाते हैं। इस दिन चर्च में भोज का आयोजन किया जाता है। बच्चे इस दिन का बहुत उत्सुकता से इंतजार करते है क्योंकि उन्हें इस दिन ढे़र सारे गिफ्ट्स और चॉकलेट मिलती हैं। क्रिसमस का पर्व स्कूलों में 24 दिसंबर को मनाया जाता है, उस दिन बच्चे सांता क्लॉज की ड्रेस और टोपी पहनकर स्कूल जाते हैं।
ईसाई विद्वान इस बात पर लगभग एकमत हैं कि ईसा के जन्म का वास्तविक दिन यह नहीं है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशू का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था कहा जाता है 25 दिसंबर को रोम के लोग रोमन उत्सव के रूप में सेलिब्रेट करते थे। इस दिन लोग एक-दूसरे को उपहार देते थे। धीरे-धीरे इसका प्रचलन बढ़ गया और इस दिन को एक उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।