पाकिस्तान और चीन से एक साथ निपटने के लिए तैयार है वायुसेना, ‘गगनशक्ति’ युद्धाभ्यास का समापन
पाकिस्तान और चीन से एक साथ निपटने की वायुसेना की तैयारी का संकेत देते हुए वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने सोमवार को कहा कि 13 दिनों तक चले इस विशाल युद्धाभ्यास से वायुसेना ने तय लक्ष्यों से कहीं ज्यादा सफलता हासिल की है। पिछले तीन दशक में वायुसेना के सबसे बड़े युद्धाभ्यास ‘गगनशक्ति’ के समापन के दो-तीन दिन बाद धनोआ ने बताया कि वायुसेना के जंगी, मालवाहक और रोटरी विंग विमानों ने अपनी तैयारी परखने के लिए 11,000 अधिक उड़ानें भरीं। धनोआ ने कहा कि वायुसेना के सभी पुरुष और महिला कर्मियों ने इस मौके पर बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और तय लक्ष्यों से कहीं ज्यादा सफलता हासिल की। वायुसेना ने आठ से 20 अप्रैल तक चले इस विशाल अखिल भारतीय अभ्यास के तहत अपनी पूरी जंगी मशीनरी उतार दी थी। ब्रह्मोस और हार्पून जहाज रोधी मिसाइलों जैसे सामरिक हथियारों से लैस जंगी विमानों ने अपनी मारक क्षमता को परखने के लिए दूर दूर तक निशाने साधे। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हमने साजोसामान को 48 घंटे के भीतर एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की क्षमता हासिल की। गगन शक्ति का संपूर्ण उद्देश्य पूरी तरह हासिल कर लिया गया। वैसे उन्होंने उसका ब्योरा नहीं दिया। इस अभ्यास की अहमियत समझाते हुए वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि साजो सामान को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने का उद्देश्य दो मोर्चे पर लड़ाई की स्थिति में एक मोर्चे पर दुश्मन को तबाह करने के बाद 48 घंटे के अंदर साजोसामान को दूसरे मार्चे पर ले जाना और उन्हें तैनात करना है।
वायुसेना प्रमुख ने बताया कि वायुसेना के 1400 अधिकारी और 14000 कर्मी इस अभ्यास का हिस्सा थे जिसकी तैयारी नौ महीने पहले शुरु हो गई थी। धनोआ ने कहा कि वायुसेना ने सेवा परखने के सभी मापदंड, आकस्मिक अभियान, साजोसामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की क्षमता, सेना और नौसेना के साथ संयुक्त अभियानों के लक्ष्यों को हासिल किया। ये विषय वायुसेना की जंगी मशीनरी के अहम पहलू हैं। यह अभ्यास ऐसे वक्त में किया गया है जब चीन भारत के साथ लगती सीमा पर दिखा रहा है कि उसका दबदबा बढ़ गया है तथा पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर झड़प जारी रखे हुए है। गगन शक्ति में मरुस्थल, लद्दाख जैसे ऊंचे स्थानों, समुद्री क्षेत्रों व करीब करीब सभी संभावित रणक्षेत्रों के हिसाब से तत्काल समय पर कार्रवाई करने की अपनी क्षमता का वायुसेना ने अभ्यास किया। वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि हमने यह सोचकर यह अभ्यास किया कि जैसे कि हम जंग में उतर रहे हैं।
वायुसेना प्रमुख से जब वायुसेना द्वारा मलक्का की खाड़ी में हमला करने की खबरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इससे स्पष्ट इनकार किया।
अधिकारियों ने बताया कि वायुसेना ने मलक्का की खाड़ी में 4000 किलोमीटर तक अपने समुद्री लक्ष्यों तक पहुंचने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। हालांकि बल ने भारतीय नौसेना द्वारा प्रदत्त लक्ष्यों को ही निशाना बनाया। उनमें से कोई भी लक्ष्य मलेशिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया के इर्दगिर्द के जलमार्ग में नहीं था। इस अभ्यास के दौरान भारत-चीन सीमा के समीप वायुसेना ने संघर्ष की विभिन्न संभावित स्थितियों को ध्यान में रखकर और डोकलाम गतिरोध से सबक लेते हुए सैनिकों के एक घाटी से दूसरी घाटी में ले जाने पर विशेष ध्यान दिया। अधिकारियों ने बताया कि यह अभ्यास हवाई क्षेत्र के लचीले उपयोग, भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त समुद्री वायु अभियान, भारतीय सेना के साथ संयुक्त अभियान, दुश्मन के क्षेत्र में गिरा दिए गए विमान के चालक दल को प्रभावी तरीके से निकालने जैसे विषयों पर भी केंद्रित था।
अधिकारियों ने बताया कि इस अभ्यास का लक्ष्य भीषण संघर्ष की स्थिति वायुसेना के साथ तत्काल समन्वय और उसकी तैनाती सुनिश्चित करना था और यह उद्देश्य पूरी तरह हासिल हुआ। उस दौरान सूचना प्रौद्योगिकी आधारित अभियानों व लंबे मिशन की अवधारणा को भी प्रभावी तरीके से परखा गया। अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान और चीन को इस विशाल अभ्यास की सूचना दे दी गयी थी। अधिकारियों ने बताया कि लड़ाकू विमानों और विभिन्न मिसाइल प्रणालियों का सेवा प्रदाय को सुनिश्चित करना प्राथमिकता अहम क्षेत्र था और वायुसेना इस अपने इस प्रयास में सफल रही। इसके तहत सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का सेवा प्रदाय करीब 97 फीसद और लड़ाकू विमानों का सेवा प्रदाय करीब 80 फीसद था। सेवा प्रदाय का तात्पर्य (जरूरत के समय) तैनाती के लिए विमान या हथियारप्रणाली की उपलब्धता होता है। वायुसेना जरूरी कल-पुर्जे हासिल करने में आ रही दिक्कतों के कारण अपने आयुधों का सेवाप्रदाय उच्च स्तर पर बनाए रखने की समस्या से जूझ रही है।