बार काउंसिल ने किया इन वरिष्ठ कांग्रेसी वकीलों को चीफ जस्टिस की अदालत में प्रैक्टिस करने पर बैन
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक प्रस्ताव पारित कर कांग्रेस के नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तंखा को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अदालत में प्रैक्टिस करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रस्ताव 18 मार्च को बार काउंसिल में पास किया गया था, जिसे शनिवार को जारी किया गया। नया प्रस्ताव उन सांसदों और विधायकों को ऐसी अदालतों या जजों के सामने आने से रोकेगा, जिनका वह विरोध कर रहे हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्रा ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि हम सांसदों और विधायकों को कोर्ट में प्रैक्टिस से नहीं रोक सकते, लेकिन इसमें कुछ अपवाद भी हैं। ऐसे वकील, जो सांसद या विधायक भी हैं, अगर वह हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव शुरु करते हैं तो वह उन जजों की अदालतों में प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे। मनन मिश्रा ने कहा कि बार काउंसिल के अधिकतर सदस्यों का ऐसा मानना है।
बता दें कि कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तंखा ने बार काउंसिल के इस फैसले का विरोध किया था, लेकिन बार काउंसिल ने उनके विरोध यह कहते हुए दरकिनार कर दिया कि वकीलों के पास इसका विरोध करने का अधिकार नहीं है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें सांसद, विधायक वकीलों को प्रैक्टिस के लिए दिशा-निर्देश तय करने की मांग की गई है। यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है, जब चीफ जस्टिस के खिलाफ संसद में महाभियोग चलाने की तैयारी है। माना जा रहा है कि सोमवार को चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संसद में पेश किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा में तो प्रस्ताव पेश करने के लिए जरुरी 50 सांसदों में से 40 का समर्थन मिल भी गया है।
बार काउंसिल के अध्यक्ष मिश्रा ने कहा कि देश की सर्वोच्च संस्था संसद है। इसके सदस्यों को विशेषाधिकार मिले हुए हैं। उनके विशेषाधिकारों पर हम कुछ नहीं कहना चाहते, लेकिन वकील होने के नाते हम उनपर यह शर्त लगा सकते हैं कि वह प्रैक्टिस कर सकेंगे या नहीं। पावर और वकीलों के विशेषाधिकार के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह शर्त लगायी गई है। बार काउंसिल ने साफ किया है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस निर्णय पर ऑब्जेक्शन नहीं करता, तब तक यह निर्णय वैध रहेगा। वहीं बार काउंसिल का यह निर्णय कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तंखा के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि वह संविधान पीठ समेत कई मामलों की पैरवी कर रहे हैं।