तेदेपा और वाईएसआर के बाद अब कांग्रेस ने भी संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए दिया नोटिस
तेदेपा और वाईएसआर के बाद अब कांग्रेस ने भी संसद में केन्द्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए नोटिस दिया है, जबकि इस मुद्दे पर संसद में पहले से ही गतिरोध जारी है। बता दें कि तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तीसरी पार्टी होगी, जो सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। संसद में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज लोकसभा महासचिव को नोटिस देकर मांग की है कि 27 मार्च को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की जाए।
इससे पहले लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने संसद में विपक्ष के हंगामे के बाद आज की कार्यवाही भी स्थगित कर दी। जिस कारण वाईएसआर और तेदेपा के अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर आज भी चर्चा नहीं हो सकी। लोकसभा स्पीकर ने कहा कि वह अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस तब तक स्वीकार नहीं करेंगी, जब तक सदन में शांति नहीं हो जाती। महाजन ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए सांसदों की गिनती तभी संभव है, जब वह अपनी सीट पर मौजूद होंगे। बता दें कि केन्द्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 50 सांसदों की सहमति जरुरी है।
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लोकसभा स्पीकर ने कहा कि सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए अपनी सहमति दे दी है। उल्लेखनीय है कि वाईएसआर, तेदेपा और अब कांग्रेस भले ही सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए नोटिस दे रही हैं, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार आसानी से संसद में बहुमत जुटा लेने की स्थिति में है। गौरतलब है कि लोकसभा में यह लगातार तीसरा हफ्ता है, जब सदन की कार्यवाही बिना किसी कामकाज के स्थगित करनी पड़ी। पिछले कुछ दिनों से संसद के दोनों सदन बैंकिंग घोटाले, कावेरी नदी जल विवाद, और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हंगामे की भेंट चढ़ रहे हैं।
बता दें कि विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेदेपा ने हाल ही में एनडीए से नाता तोड़ लिया था और अब वाईएसआर कांग्रेस के साथ मिलकर तेदेपा केन्द्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रही है। आंकड़ों की बात करें तो तेदेपा के पास 16 सांसद हैं, वहीं वाईएसआर कांग्रेस के पास 9 और कांग्रेस के पास 44। सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 272 सांसदों की जरुरत होगी, अब अगर सहयोगी पार्टियों को छोड़ भी दिया जाए तो भाजपा के ही संसद में 273 सांसद हैं। ऐसे में सरकार आसानी से अपना बहुमत साबित करने की स्थिति में है।