उम्मीदों के बीच बॉन में जलवायु सम्मेलन शुरू, क्लामेट चेंज के असर को रोकने का बन रहा प्लान

दुनिया के हजारों लोग जर्मनी के शहर बॉन में इस उम्मीद में जमा हुए हैं कि बदलते मौसम की मार से इस धरती को बचाने के लिए कोई ठोस खाका तैयार होगा। चुनौती इसलिए भी बड़ी है कि दुनिया में सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाला अमेरिका पेरिस समझौते से बाहर हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को जलवायु से ज्यादा अमेरिकी लोगों की नौकरियों की चिंता है। लेकिन बॉन में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन के मेजबान फिजी जैसे देशों के सामने अपना अस्तित्व बचाये रखने का संकट है। हर दिन समंदर का बढ़ता जल स्तर उन्हें जलसमाधि की तरफ धकेल रहा है।

बॉन में फिजी के प्रधानमंत्री फ्रैंक बैनीमारामा ने कॉप23 सम्मेलन का उद्घाटन किया और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को रोकने के लिए हर हाल में कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “पृथ्वी पर सबसे ज्यादा खतरे में घिरे क्षेत्रों से एक की तरफ से आपको शुभकामनाएं।” उन्होंने आग्रह किया कि पेरिस में पर्यावरण के लिए जिन उपायों पर सहमति बनी, उन्हें आगे बढ़ाया जाए। पेरिस समझौते के तहत दुनिया के बढ़ते तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जाना है। संयुक्त राष्ट्र के मौसम विभाग का कहना है कि 2015 और 2016 के बाद अब 2017 अब तक का सबसे गर्म साल होगा।

भारत, जर्मनी और चीन जैसे देश पेरिस समझौते को लेकर अपनी प्रतिबद्धताएं जता चुके हैं। भारत में पर्यावरण के लिए काम करने वाली एक संस्था ईईडब्ल्यू से जुड़ी शिखा भसीन बॉन सम्मेलन को भारत के लिए एक मौका मानती हैं। उनका कहना है, “अमेरिका ने कह दिया है कि वह सरकारी स्तर पर इस मामले में ज्यादा दिलचस्पी नहीं रखता है। हमें लगता है कि अब समय आ गया है जब भारत आगे बढ़ेगा और दुनिया को दिखाएगा उसमें जलवायु परिवर्तन का सामना करने की ताकत है।” अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के पेरिस समझौते से हटने के बाद बॉन सम्मेलन पर्यावरण को लेकर दुनिया का पहला बड़ा सम्मेलन है।
भारत के अलावा दुनिया भर से हजारों पर्यावरण कार्यकर्ता और रिसर्चर इस सम्मेलन में मौजूद हैं। बांग्लादेश से आई एक रिसर्चर सिराजुल मुनीरा ने डीडब्ल्यू को बताया, “मुझे यहां कुछ ऐसे आइडिया और कदमों की तलाश है जो पेरिस संधि को समझने में मदद करेंगे। यह भी देखना है कि क्या पेरिस संधि को सतत रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है। मेरी इसमें भी दिलचस्पी है कि जलवायु प्रोजेक्ट्स को कैसे लागू किया जाएगा, उनके लिए धन कहां से आयेगा।”

सम्मेलन की शुरुआत स्कूली बच्चों के एक गीत से हुई जिसका शीर्षक था “सेव द वर्ल्ड”। इसके अलावा फिजी की परंपरा के अनुसार स्वागत कार्यक्रम भी हुआ। फिजी के प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का जिक्र तो नहीं किया, लेकिन ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट के नारे की तरफ इशारा जरूर किया। उन्होंने कहा, “किसी भी देश के लिए खुद को सबसे पहले रखने का यही तरीका है कि वह सभी देशों के साथ हाथ से हाथ बांधकर खड़ा हो।” इस सम्मेलन में जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति मानुएल मांक्रों के साथ साथ हॉलीवुड स्टार लियोनार्दो द कैप्रियो जैसी कई हस्तियां भी आएंगी।

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