दीपावली के बाजार से खरीदार नदारद, ज्यादातर लोग विंडो शॉपिंग कर केवल जरूरत के सामान की ही कर रहे खरीदारी

दिवाली में सिर्फ एक दिन बचा है और राजधानी के बाजारों से खरीददार नदारद ही है। बाजारों में अब जो थोड़ा बहुत रश दिखाई दे भी रहा है, वो लोग या तो मिठाईयां खरीद रहें हैं या गिफ्ट आइटम। दिल्ली के दुकानदारों का मानना है कि इस तरह की फीकी दिवाली उन्होंने कभी देखी ही नहीं है। दिवाली का यह समय बिक्री के लिहाज से पूरे साल का सबसे उच्च समय होता है। लेकिन इस बार राजधानी के बाजारों की हालत खराब है। दुकानदारों की माने तो बाजार में दिवाली का त्योहारी माहौल बना ही नहीं है। बाजार में ग्राहकों की आवक बेहद कम है। जिसके चलते बीते साल के मुकाबले लगभग बिक्री में 40 फीसद की गिरावट आई है। दिल्ली के बड़े बाजार, चांदनी चौक, सदर बाजार, राजौरी गार्डन, तिलक नगर, कीर्ति नगर, गांधी नगर, कृष्णा नगर, मयूर विहार, झील, डिफेंस कॉलोनी, साऊथ एक्स आदि में इन दिनों भीड़ तो है लेकिन उनमें से ज्यादातर विंडो शॉपिंग कर रहें हैं। ज्यादातर दुकानदारों का मानना है कि उपभोक्ता डर कर खरीदारी कर रहे है। इस कारण से बाजारों में मंदी का माहौल है। उपभोक्ता बाजारों मेंं बेहद जरूरी सामान ही खरीद रहे हैं और दिवाली त्योहार की बड़ी खरीद से बच रहे हैं ।

सदर बाजार के व्यापारी नेता राकेश यादव का कहना है कि दिवाली से करीब एक माह पहले ही देशभर से खरीददार सदर बाजार में सामान खरीदकर राजधानी से बाहर ले जाता था। इन दिनों तो दिल्ली का खरीददार यहां पर सामान खरीदने आता था। उन्होंने कहा कि वे करीब 25 साल से व्यापार कर रहें हैं लेकिन ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा है। इस साल दूसरे राज्यों से काफी कम व्यापारी यहां खरीददारी करने आया है। दिल्ली के आम खरीददार ने भी जरूरी सामान की ही खरीददारी की है। बाजार में मंदी की वे बड़ी वजह जीएसटी मान रहें हैं। यादव का कहना है कि व्यापारी जीएसटी के खिलाफ नहीं है लेकिन जिस तरह से इसे लेकर बाजार में अफरा-तफरी मचाई गई और उसे लागू किया गया उससे व्यापार टूट गया है। उनका मानना है कि व्यापार को अपने पैर जमाने में अभी काफी समय लगेगा।

पैसे के ब्लॉक होने से खड़ी हुई समस्या

एक अन्य व्यापारी नेता प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि लोगों ने बड़ी मात्रा में रियल एस्टेट और सोने में निवेश किया है। इन दोनों क्षेत्रों में मंदी के कारण से उनका पैसा ब्लॉक हो गया है और दूसरी तरफ व्यापारियों ने अपना पैसा स्टॉक में निवेश कर दिया। जिसके कारण उनका पैसा भी ब्लॉक हो गया है। ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से बड़ी मात्रा में डिस्काउंट देकर सामान बेचने का भी विपरीत असर बाजारों के व्यापार पर पड़ा है। खंडेलवाल का मानना है कि जीएसटी से उपजे भ्रम ने भी बाजारों में अफरा-तफरी फैलाई। उनका ये भी कहना है कि त्योहार से जुड़े ज्यादातर सामान पर कर की दर 28 फीसद होने के कारण खरीददार पैसे खर्च नहीं करना चाहता है। उन्होंने कहा कि यदि यही हाल रहा तो इस बार व्यापारियों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा। व्यापारी नेता अशोक अरोड़ा का कहना है कि खारी बावली में इन दिनों ड्राई फ्रूट की बिक्री इस बार बीते साल की तुलना में आधी ही हुई है।

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