रक्षा मंत्रालय ने 46000 करोड़ के रक्षा खरीद बजट को दी मंजूरी, खरीदे जाएंगे 21,000 करोड़ में 111 हेलिकॉप्‍टर


शनिवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने 46000 करोड़ के रक्षा खरीद बजट को मंजूरी दे दी। मंजूरी मिलने के बाद 21000 करोड़ में नौसेना के लिए 111 हेलिकॉप्‍टर खरीदे  जाएंगे। यह फैसला किसी भी तरह की खरीद पर मंत्रालय के सर्वोच्च निर्णय लेने वाली कमेटी रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में लिया गया। बैठक में डीएसी ने लगभग 24,879 करोड़ रुपये के कुछ अन्य खरीद प्रस्तावों को भी मंजूरी दे दी है। इसमें सेना के लिए 3,364 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 150 स्वदेशी डिजाइन किए गए उन्नत टॉवड आर्टिलरी गन सिस्टम की खरीद भी शामिल है।

 

रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में डीएसी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए भारतीय नौ सेना के लिए 21 हजार करोड़ की लागत से 111 हेलिकॉप्टर की खरीद को मंजूरी दे दी। एक अधिकारी ने कहा कि, “यह रक्षा मंत्रालय के प्रतिष्ठित रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत पहली परियोजना है जिसका लक्ष्य सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना है। एसपी मॉडल में भारतीय रणनीतिक साझेदारी द्वारा प्रमुख रक्षा प्लेटफार्मों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना की गई है, जो विदेशी कंपनी के साथ सहयोग करेंगे। विशिष्ट तकनीकों का अधिग्रहण करेंगे और देश में उत्पादन सुविधाओं की स्थापना करेंगे।” इस मॉडल में देश में रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण को अपनाया गया है। इससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। औद्योगिक और अनुसंधान एवं विका पारिस्थितिक तंत्र की स्थापना के साथ-साथ भविष्य में सेना की आवश्यकता को पूरा करने में मदद मिलेगी।

एक और सौदे में सेना के लिए डीएसी ने 3,364.78 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 150 स्वदेशी विकसित 155 मिमी उन्नत टॉइड आर्टिलरी गन सिस्टम (एTAGएस) की खरीद के लिए मंजूरी दी। बयान में कहा गया है कि, “इन बंदूकें को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी डिजाइन और विकसित किया गया है और डीआरडीओ द्वारा नामित उत्पादन एजेंसियों द्वारा निर्मित किया जाएगा।” डीएसी ने नेवी के लिए 14 वर्टिकली लॉन्च शॉर्ट रेंज मिसाइल सिस्टम्स की खरीद को भी मंजूरी दे दी है जो एंटी-शिप मिसाइलों के खिलाफ जहाजों की आत्मरक्षा क्षमता को बढ़ावा देगा। इनमें से 10 सिस्टम स्वदेशी विकसित किए जाएंगे। इन प्रमुख योजनाओं का उद्देशय मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाना और रक्षा उपकरण निर्माण के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है।

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