गुजरात के ऊना में अत्याचार से परेशान हो कुछ दलित परिवार लेने जा रहे बौद्ध धर्म की दीक्षा
मीडीया से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार गुजरात के ऊना में स्वयंभू गौरक्षकों द्वारा चार दलित परिवारों पर हमले के दो साल बाद रविवार (29 अप्रैल) को वह बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने जा रहे हैं। बौद्ध धर्म अपनाने के पीछे का संदेश साफ है कि वह अब अपने समुदाय पर और ज्यादा अत्याचार सहने के लिए तैयार नहीं हैं। रमेश सरवैया, उनके भाई वासराम, अशोक और चचेरे भाई बेचर को अर्धनग्न हालत में कार से बांधकर मारते-पीटते हुए 15 किमी तक घसीटा गया था। उन्हें पुलिस स्टेशन के बाहर भी मारा-पीटा गया था। ये वाकया 11 जुलाई 2016 को हुआ था। इन चारों पर ये आरोप था कि उन्होंने मरी हुई गाय की खाल को निकाल लिया था। इस काण्ड पर पूरे देश में गुस्सा फैल गया था। जबकि इस पर बड़ी राजनीतिक प्रतिक्रिया भी हुई थी।
अभी भी मन में हैं टीस: कार से बांधकर खींचने की घटना से दलितों पर रोज हो रहे अत्याचारों की गूंज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सुनाई पड़ी थी। इस मामले में पीड़ित वासराम ने बताया,‘‘ अब हम बौद्ध धर्म अपनाने जा रहे हैं। ये रास्ता हमें हमारे नेता भीम राव आंबेडकर ने दिखाया था। इससे हम अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद कर सकेंगे।’’वासराम ने बताया कि उसके कान का पर्दा मारपीट के कारण फट गया था। ये अभी भी उसे असहनीय दर्द देता है। वहीं उसके दोनों भाइयों के जोड़ों और मांसपेशियों में अभी भी रह-रहकर दर्द उठता है। रमेश और अशोक का आरोप है कि बुधवार (25 अप्रैल) को मोटरसाइकिल पर आए दो लोगों ने उन्हें धमकाया है। वे लोहे की राॅड लेकर आए थे। उन्होंने मारपीट के सभी मुकदमे वापस लेने का दबाव उन पर बनाया है। इस धमकी पर उन्होंने ऊना पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई है।
इसलिए करेंगे धर्म परिवर्तन: ऊना कांड के पीड़ित रमेश सरवैया से सोनल ने इस कांड के एक साल बाद शादी की थी। वह भी बौद्ध धर्म अपनाने पर परिवार के फैसले के साथ है। सोनल का कहना है कि उन्हें अभी भी समाज में भेदभाव झेलना पड़ता है। हमें अपने बर्तन खेत में साथ लेकर जाने पड़ते हैं, क्योंकि खेत मालिक हमें अपने बर्तनों में खाना नहीं खिलाना चाहता है।’’ वासराम ने कहा कि, बौद्ध धर्म में परिवर्तन से उनकी जिन्दगी में कोई बदलाव नहीं आएगा। लेकिन हम कम से कम उन भगवानों की पूजा तो नहीं करेंगे, जिनके अनुयायी हमें पीटते हैं और हमारी प्रगति नहीं देख सकते हैं।