नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में 444 दवाइयों की बिक्री पर लगाई रोक, नशीले रूप में हो रहा था उपयोग
नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में 444 दवाइयों की बिक्री पर रोक लगा दी है। इन दवाइयों का इस्तेमाल युवा वर्ग नशीले पदार्थों के रूप में बड़े पैमाने पर उपयोग कर रहा था। साथ ही अदालत ने युवाओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता जताते हुए राज्य सरकार से नशीले पदार्थों के प्रति युवाओं में जागरूकता पैदा करने के लिए बारहवीं की कक्षाओं में एक पाठयक्रम रखने का सुझाव भी दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता श्वेता मातीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी के दो सदस्यीय खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। खंडपीठ ने कहा कि राज्य में जिस तरह से युवा वर्ग नशे की लत में अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं, वह अत्यंत गंभीर विषय है।
खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह नशीले पदार्थों के तस्करों को पकड़ने के लिए विभिन्न विभागों के बीच तालमेल स्थापित कर एक विशेष निगरानी इकाई बनाए और नशे के तस्करों की धरपकड़ कर नशे के कारोबार पर रोक लगाए। साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार 18 साल तक के बच्चों को नशीले पदार्थ बेचने पर पूरी तरह पाबंदी लगाए। खंडपीठ ने आदेश दिए कि सूबे की जेलों में बंद हर कैदी का परीक्षण किया जाए और जिन कैदियों में नशे के लक्षण मिलते हैं, उन्हें नशा मुक्ति केंद्रों में भेजकर उनका इलाज कराया जाए। खंडपीठ ने जिन 444 दवाइयों पर रोक लगाई है, उनमें प्रमुख रूप से थिनर, सुलोचन, फ्लूइड्स, कैफीन, एनाल्जिन, पेंसिलिन स्किन, आई ऑइंटमेंट, सिट्राजिन, डाईक्लोफेनक, निमुस्लाईड और तंबाकू युक्त टूथपेस्ट शामिल हैं।