हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के मौत का कुआं बन चुके राष्ट्रीय राजमार्ग-58 निर्माण में देरी के लिए दिया सख्त कार्रवाई करने का आदेश


उत्तराखंड के देहरादून-हरिद्वार-मुजफ्फरनगर राष्ट्रीय राजमार्ग-58 केंद्र और राज्य सरकार दोनों के लिए ही सिरदर्द साबित हो रहा है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग मौत का कुआं बन चुका है। 2008 से बन रहा यह राष्ट्रीय राजमार्ग विभिन्न सडक दुर्घटनाओं में अब तक 1500 से ज्यादा लोगों की जानें ले चुका है। इस राजमार्ग की दुर्दशा पर नैनीताल हाई कोर्ट ने गहरी नाराजी जताई है। कोर्ट ने किसी भी सूरत में इसे सितंबर 2019 तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय सड़क मार्ग मंत्रालय और राज्य सरकार का सड़क परिवहन विभाग इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी के कारनामों से आजीज आ चुका था। लिहाजा, मंत्रालय ने निर्माण कर रही कंपनी को काली सूची में डालकर उससे काम छीन लिया और अब नई निर्माण कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर प्रकिया शुरू करने की तैयारी में है।

उधर, नैनीताल हाईकोर्ट ने इस राजमार्ग के निर्माण में देरी करने के मामले में हस्तक्षेप करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। साथ ही हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को इस राजमार्ग को बनाने में देरी करने वाली कंपनी पर भी सख्त कार्रवाई करने को कहा है। हाई कोर्ट ने दस साल से इस राजमार्ग का निर्माण न होने पर गहरी नाराजी जताते हुए प्राधिकरण को सितंबर 2019 तक हर सूरत में इसका निर्माण पूरा करने के निर्देश जारी किए हैं। नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और मनोज कुमार तिवारी की दो सदस्यीय संयुक्त खंडपीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग-58 का काम 2008 में शुरू होकर 1 मार्च 2013 तक पूरा होना था। लिहाजा पहले इस देरी के लिए प्राधिकरण के अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए कार्रवाई की जाए। इसके अलावा छह महीने के भीतर राजमार्ग से अतिक्रमण भी हटाया जाए। हाईकोर्ट ने रुड़की के अख्तर मलिक की याचिका पर अपना फैसला सुनाया।

नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों और 13 जिलों के जिलाधिकारियों को कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि पूरे प्रदेश में कहीं भी ट्रैफिक जाम की स्थिति न बन पाए। प्राधिकरण के परियोजना निदेशक पंकज कुमार मौर्या का कहना है कि नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का अध्ययन करने के बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा। उधर, उत्तराखंड शासन अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने भगवानपुर-रुड़की-हरिद्वार-नजीबाबाद के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग-58 के निर्माण कार्यों की समीक्षा की और निर्माण कार्य में देरी किए जाने पर अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। साथ ही अधिकारियों को निर्माण कार्य में तेजी लाने के आदेश दिए।

इस मामले में याचिकाकर्ता अख्तर मलिक का कहना है कि राजमार्ग का निर्माण करने वाली कंपनी इस सड़क परियोजना को अधूरा छोड़कर भागने की फिराक में थी। प्राधिकरण ने इस बाबत मई 2018 में कंपनी को नोटिस भी जारी किया था। प्राधिकरण के काम छीन लेने पर कंपनी नैनीताल हाईकोर्ट चली गई थी। कंपनी से प्राधिकरण ने सड़क निर्माण के अधूरे कार्य को पूरा करने के बाबत सवाल पूछे गए थे, जिसका कंपनी कोई जवाब नहीं दे पाई थी। इस राजमार्ग को बनाने के लिए कंपनी विभिन्न बैंकों से अब तक 12 सौ करोड़ रुपए कर्ज ले चुकी है।

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