आज तक पूरा नही हो पाया देहरादून-मुजफ्फरनगर-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम

तकरीबन आठ साल पहले शुरू हुआ   देहरादून-मुजफ्फरनगर-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम बीते आज तक  पूरा नहीं हो पाया है। इस राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का काम मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार के समय शुरू हुआ था। केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद माना जा रहा था कि यह सड़क जल्द ही पूरी हो जाएगी। परंतु नरेंद्र मोदी सरकार के साढ़े तीन साल बाद बीत जाने के बाद भी यह राष्ट्रीय राजमार्ग अधूरा पड़ा है। इस कारण यह राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क दुर्घटनाओं का अड्डा बन गया है। दिल्ली से हरिद्वार, ऋषिकेश सड़क मार्ग से जाने वाले यात्रियों को कई जगह हिचकोले खाने पड़ते हैं और समय भी ज्यादा लगता है। अभी तक एक दर्जन से ज्यादा मुसाफिरों को यह सड़क मार्ग मौत का ग्रास बना चुका है।

तकरीबन आठ साल पहले केंद्र की यूपीए सरकार ने एक कम्पनी को मुजफ्फरनगर से हरिद्वार-देहरादून तक इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का ठेका दिया था। पांच साल में इस कम्पनी को इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य पूरा करना था।

परंतु यूपीए सरकार के आखिरी दिनों में निर्माणकर्ता कम्पनी ने बीच में ही काम छोड़ दिया। केंद्र में 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि अब जल्दी ही अधूरे पड़े इस राजमार्ग का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। तीन साल पहले हरिद्वार आए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एलान किया था कि एक-डेढ़ साल में यह राष्ट्रीय राजमार्ग बनकर तैयार हो जाएगा परंतु अब तक यह पूरा नहीं हुआ है और गडकरी की घोषणा हवाहवाई साबित हुई है। अब केंद्र सरकार ने इस राष्ट्रीय राजमार्ग की चौड़ीकरण का काम पूरा करने के लिए समय सीमा दिसंबर 2018 तय कर दी है। परंतु जिस कछुआ चाल से काम चल रहा है उससे लगता है कि अभी इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का काम पूरा होने में दो साल से ज्यादा का वक्त लग सकता है।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक कई बार केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने इस राष्ट्रीय सड़क मार्ग का मामला उठा चुके हैं। केंद्रीय मंत्री ने आलाधिकारियों को कई बार आवश्यक निर्देश भी दिए, परंतु उनके कानों में जू तक नहीं रेंगी। निशंक ने कई बार कम्पनी के अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से लताड़ भी लगाई। कम्पनी के सूत्रों के मुताबिक इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण को लेकर उनका भुगतान काफी विलम्ब से हुआ जिससे काम में देरी हुई।

दोगुनी हुई निर्माण रकम
2010 में इस परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 2013 में यह परियोजना पूरी होनी थी। दो भागों मुजफ्फनगर-हरिद्वार सड़क मार्ग तथा हरिद्वार-देहरादून सड़क मार्ग में परियोजना को विभाजित किया गया था। मुजफ्फनगर-हरिद्वार सड़क मार्ग की लम्बाई 80 किलोमीटर तथा हरिद्वार-देहरादून 39 किलोमीटर में निर्माण कार्य किया जाना तय हुआ था। 2010 में यह परियोजना शुरू करते वक्त मुजफ्फनगर, हरिद्वार सड़क मार्ग के निर्माण की लागत 754 करोड़ रुपए तय की गई थी जिसकी लागत आज बढ़कर 1563 करोड़ हो गई है।
2010 हरिद्वार-देहरादून सड़क मार्ग की लागत 478 करोड़ रुपए थी जो आज बढ़कर 1020 करोड़ रुपए हो गई है। कम्पनी ने मुजफ्फनगर-हरिद्वार सड़क परियोजना के लिए 900 करोड़ रुपए और हरिद्वार-देहरादून सड़क मार्ग के निर्माण के लिए 700 करोड़ रुपए कर्ज विभिन्न बैंकों से लिया था। पिछले साल कम्पनी ने निर्माण कार्य नोटबंदी के कारण रोक दिए थे। परंतु केंद्र ने कम्पनी को 280 करोड़ रुपए देने का एलान किया परंतु अभी तक कम्पनी के खाते में फूटी कौड़ी भी नहीं आई है। एनएचएआइ के सूत्रों के मुताबिक 2018 तक कम्पनी केवल सड़कों का निर्माण ही करेगी और मार्च 2019 तक पुलों का निर्माण हो सकेगा। परंतु जिस गति से काम चल रहा है उसे देखते हुए लगता है कि 2021 में हरिद्वार में लगने वाले महाकुम्भ मेले तक भी यह परियोजना पूरी होती नहीं दिखाई दे रही है।

 

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