पटाखा बैन का असर: दिल्ली में पहले से कम रहा प्रदूषण, फिर भी खतरनाक स्तर पर

सप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली और एनसीआई में पटाखों पर लगाए जाने के बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार दिल्ली बिना पटाखों के शोर और लोग क्रैकर फ्री दिवाली मनाएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। गुरुवार को लोगों ने खूब पटाखे जलाए जिसका असर सुबह नजर आया। ऐसा लग रहा था कि जैसे की आसमान में धुंध सी छा गई हो। प्रदूषण की जांच करने वाले स्टेशन के ऑनलाइन इंडिकेटर्स ने लाल रंग दिखाया जिसका मतलब था कि एयर क्वालिटी बहुत ही खराब है। सुबह सात बजे पीएम 2.5 का स्तर पीएम 10 से बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ मापा गया था। यह हवा सांस लेते समय रक्तप्रवाह तक पहुंच जाने का प्रबंध कर लेती है जो कि बेहद नुकसान देह हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो इस वजह से कैंसर होने का खतरा भी बढ़ सकता है।

पिछले साल के तथ्यों के अनुसार इस साल दिवाली के मौके पर प्रदूषण में थोड़ी गिरावट जरुर आई है लेकिन यह हवा अभी भी खतरनाक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए रिकोर्ड के मुताबिक एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) गुरुवार को 319 मापा गया था जो कि बेहद ही खराब हवा की कैटेगरी में आता है। वहीं पिछले साल एयर क्वालिटी इंडेक्स 431 मापा गया था। अगर एक्यूआई लेवल 0-50 होता है तो उस हवा को अच्छा माना जाता है, 51-100 को संतुष्ठ, 101-200 को मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बेहद खराब और 401  और इससे ज्यादा के लेवल को खतरनाक माना जाता है।

दिल्ली के पॉश इलाकों की बात करें तो यहां प्रदूषण सामान्य से सात गुना बढ़ा है। एएनआई के अनुसार आरकेपुरनम जैसे पॉश इलाके की बात करें तो यहां पर एयर क्वालिटी पीएम 2.5 की मात्रा 978 माइक्रोन मापी गई थी। यह प्रदूषण सामान्य से करीब 16 गुणा ज्यादा है। वहीं इंडिया और विजय चौक जैसे इलाको की बात करें तो यहां का प्रदूषण सामान्य के मुकाबले सुबह के समय 15 गुना ज्यादा मापा गया था। ऐसा ही हाल एनसीआर में भी देखने को मिला। गाजियाबाद और नोएडा में धुएं के कारण चारों ओर केवल धुंध सी दिखाई दे रही थी।

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