दिल्ली हाईकोर्ट का केंद्र को आखिरी मौका, 6 महीने में हो राजनीतिक पार्टियों के खातों की जांच
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने नए आदेश में केंद्र सरकार को राजनीतिक दलों के खातों की जांच करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इसके लिए सरकार को छह महीने का समय दिया है। खबर के अनुसार जिन राजनीतिक पार्टियों के खातों की जांच के आदेश दिए गए हैं, उनमें भाजपा और कांग्रेस भी शामिल हैं। इन पार्टियों के विदेशी चंदे की भी जांच करने को कहा गया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरी शंकर पीठ ने कोर्ट के साल 2014 के निर्णय का अनुपालन करने के लिए गृह मंत्रालय को इस बार ‘आखिरी मौका’ दिया है। दरअसल कोर्ट का मानना है कि इन पार्टियों ने विदेशी चंदा लेने के दौरान एफसीआरएक का उल्लंघन किया है। एफसीआरए यानी फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट है जो साल 2010 में बना। ये एक्ट विदेशी चंदे से जुड़े मामले के लिए बनाया गया था। एफसीआरए का सेक्शन 4 किसी राजनीतिक पार्टी या विधायिका को नियमों का उल्लंघन करने पर विदेशी दानकर्ताओं से चंदा स्वीकार करने से रोकता है। गौरतलब है कि साल 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय को राजनीतिक पार्टियों के खातों की जांच के आदेश छह महीने में करने के लिए कहा था। लेकिन मामले में गृह मंत्रालय ने केंद्र की स्थाई वकील मोनिका अरोड़ा के हवाले से कोर्ट से इसके लिए 31 मार्च 2018 तक समय मांगा था। सरकरा ने कहा कि जिन रिकॉर्ड की जांच की जानी है वो काफी पुराने हो चुके हैं। इसके लिए इन्हें इकट्ठा करने और इनकी जांच के लिए सरकार को ज्यादा वक्त दिया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि इससे पहले केंद्र सरकार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू), आईआईटी-दिल्ली और इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रिकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) समेत सैकड़ों संस्थानों को विदेशी वित्तीय मदद लेने पर रोक लगा दी थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन सभी संस्थानों का फॉरेन कंट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 2010 (एफसीआरए) के तहत मिला लाइसेंस रद्द कर दिया। कथित तौर पर इन सभी संस्थानों ने पिछले पांच सालों का सालाना इनकम टैक्स रिटर्न नहीं जमा किया। जो संस्थान या संगठन एफसीआरए के तहत पंजीकृत नहीं है वो विदेशी संस्थानों या व्यक्तिों से चंदा नहीं ले सकते। विदेशी चंदा लेने वाले संस्थानों को हर साल अपने चंदे और खर्च का ब्योरा सरकार को देना होता है। किसी शैक्षणिक संस्थान को विदेश में रहने वाले अपने किसी पूर्व छात्र से भी चंदा लेने के लिए एफसीआरए संख्या की जरूरत होती है।