डाक्टरों की माँग के बाद भी YouTube ने वीडियो नही हटाया तो हाई कोर्ट ने लगाया 9.5 लाख का जुर्माना

दिल्ली हाई कोर्ट ने youtube पर 9.5 लाख रुपये का भारी भरकम जुर्माना लगाया है। अदालत ने एक डॉक्टर की याचिका पर ये जुर्माना लगाया है। दिल्ली के डॉक्टर ने अदालत से मांग की थी कि उनसे जुड़े कुछ आपत्तिजनक सामग्री youtube दुनिया भर के अपने चैनलों से हटाए। youtube ने तकनीकी कारणों से इस सामग्री को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने में असमर्थता जताई इसके बाद अदालत ने जुर्माना लगाया गया है। जस्टिस नजामी वजीरी ने यूट्यूब को कहा कि नौ बार हुई सुनवाई के लिए हर बार पचास हजार रुपये जुर्माने के रुप में दी जाए। कोर्ट ने अदालत का वक्त बर्बाद करने के लिए ये रकम जुर्माने में ली। यूट्यूब ने कहा कि कंपनी सिर्फ ये सुनिश्चित कर सकती है कि भारत का कोई शख्स डॉक्टर के खिलाफ इस आपत्तिजनक पोस्ट को ना देख पाए। कंपनी ने कहा कि पोस्ट को पूरी तरह से हटाया नहीं जा सकता है।

बता दें कि जून 2015 में निचली अदालत ने अमेरिका में स्थित यूट्यूब और गूगल को निर्देश दिया था कि यूट्यूब दुनिया भर में अपने प्लेटफॉर्म से इस कंटेट को हटाए। जस्टिस वजीरी ने कहा, “पिछले 64 दिनों में इस केस की लिस्टिंग 9 बार हुई है। हर बार यूट्यूब और गूगल ने वक्त मांगा और कहा कि वे लोग कोर्ट के निर्देशों का पालन करेंगे। आज कोर्ट को बताया गया है कि तकनीकी कारणों की वजह से निचली अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया जा सकता है।”

हाईकोर्ट में यूट्यूब ने पहले तर्क दिया कि उसने निचली अदालतों के निर्देशों का पालन किया है क्योंकि इस सामग्री को वेबसाइट पर डिजेबल कर दिया गया है, और भारत में इंटरनेट क्नेक्शन रखने वाला कोई भी व्यक्ति इस कंटेट को नहीं देख सकता है। बाद में कंपनी ने दावा कि कंपनी के पास ऐसी कोई तकनीकी क्षमता नहीं है जिसकी मदद से मेन सर्वर से कंटेट को हमेशा के लिए हटा दिया जाए और इसे बाहर के लोग भी इसे देख ना पाएं। कंपनी ने अंत में कहा कि वो निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपनी याचिका को वापस ले रहा है। बता दें कि इस वीडियो में डॉक्टर के आईवीएफ प्रैक्टिस को टारगेट किया गया था। अदालत ने कहा कि पूरी रकम में 1 लाख रुपये में हाईकोर्ट मेडिटेशन सेंटर को दिया जाएगा।

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