अस्पताल ने बिना इजाजत ‘ब्रेन डेड’ को वेंटिलेटर पर रखा तो कोर्ट ने लगाया अस्पताल पर 5 लाख का जुर्माना
दिल्ली के एक अस्पताल में दिल्ली स्टेट कंज्यूमर रिड्रेसल कमीशन ने 5 लाख का जुर्माना लगाया है। अस्पताल पर आरोप है कि मैनेजमेंट ने एक बच्चे को बिना अनुमित लिये लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा। अप्रैल 2006 में 14 साल के प्रशांत को बत्रा हॉस्पिटल मेडिकल रिसर्च सेंटर में भर्ती किया गया। प्रशांत को टाइफाइड था। इलाज के दौरान उसकी हालत और खराब हो गई, एक महीने बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया। बच्चे के परिवार ने आरोप लगाया कि अस्पताल ने उन्हें ये नहीं बताया कि बच्चा अप्रैल में ही ‘ब्रेन डेड’ हो चुका था। कमीशन के न्यायिक सदस्य एन पी कौशिक ने कहा कि प्रशांत के परिवार वालों को अस्पताल द्वारा उसकी हालत के बारे में नहीं बताया गया था। हालांकि न्यूरोलॉजिस्ट ने कहा था कि उसके ‘मस्तिष्क की कोशिकाओं में गतिविधि की जैवीय लक्षण नहीं दिखे’ थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक “परिवार के सदस्यों को एक पेशेंट के ब्रेन डेड होने की स्थिति में वेंटिलेटर का रोल नहीं बताया गया था।” कौशिक ने कहा कि प्रशांत को कई डॉक्टरों ने ब्रेन डेड बताया था इसमें न्यूरोलॉजिस्ट भी शामिल था।
कमीशन ने कहा, “लिखित में सहमति के अभाव में मैं यह मानता हूं कि अस्पताल ने अपनी सेवा ठीक से नहीं दी है।” प्रशांत के माता पिता शशिकांत शर्मा और शकुंतला देवी ने कहा कि अप्रैल 2006 में प्रशांत को वेंटिलेटर पर रखा गया था, इन्होंने आरोप लगाया कि ट्यूब को गलत तरीके से जोड़ा गया था और उसे किसी सीनियर डॉक्टर ने देखा नहीं, प्रशांत को इंसूलिन का भारी डोज दिया गया, जबकि उसे डायबिटीज नहीं था।
प्रशांत के माता पिता ने कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें झूठा दिलासा दिया कि प्रशांत एक दिन आश्चर्यजनक रूप से उठ बैठेगा। जबतक प्रशांत के परिवार वालों ने पैसा देते रखा उसे वेंटिलेटर पर रखा गया, जैसे ही उनके पास फंड की कमी हुई उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया। प्रशांत उस तरह से पड़ा रहा , आखिरकार 28 मई 2008 को उसे मृत घोषित कर दिया गया। अस्पताल का कहना है कि पहले तो प्रशांत के माता-पिता ने उसे वेंटिलेटर पर रखने की अनुमित नहीं दी, लेकिन एक बार सीनियर डॉक्टर द्वारा समझाने के बाद वे राजी हो गये। अस्पताल ने कहा कि उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया, अच्छी चिकित्सा दी गई, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। कमीशन ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में बच्चे के माता-पिता मानसिक और भावनात्मक प्रताड़ना से गुजरे इसके लिए उन्हें मुआवजा दिये जाने की जरूरत है।