दिल्ली में कल इनकी अग्नि परीक्षा: आठ उम्मीदवारों के सामने जीत तो पांच के समक्ष हार का सिलसिला तोड़ने की चुनौती,
दिल्ली में आठों उम्मीदवारों के समक्ष जीत का रथ आगे बढ़ाने और पांच उम्मीदवारों के समक्ष हार का सिलसिला खत्म करने की चुनौती है।
दिल्ली में लोकसभा की सातों सीटों पर चुनाव लड़ रहे भाजपा व इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों की शनिवार को मतदान के लिए अलग-अलग मामलों में अग्नि परीक्षा होगी। दरअसल चार उम्मीदवारों ने अभी तक चुनावी दंगल में मात नहीं खाई है। इसके अलावा चार उम्मीदवार अपने पिछले एक से दो चुनाव जीते हैं। वहीं पांच उम्मीदवार अपने पिछले एक से लेकर तीन चुनाव हार चुके हैं। इनमें से दो उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्हें अभी तक जीत का स्वाद नसीब नहीं हुआ है। इस तरह आठों उम्मीदवारों के समक्ष जीत का रथ आगे बढ़ाने और पांच उम्मीदवारों के समक्ष हार का सिलसिला खत्म करने की चुनौती है।
दिल्ली में लोकसभा चुनाव लड़ रहे भाजपा, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के 14 उम्मीदवारों में से छह को ही लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव है। इनमें शामिल चांदनी चौक क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश अग्रवाल व उत्तर पश्चिमी दिल्ली क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज, उत्तर पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार मनोज तिवारी व पश्चिमी दिल्ली क्षेत्र से आप उम्मीदवार महाबल मिश्रा लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। जबकि दक्षिणी दिल्ली क्षेत्र से भाजपा के रामवीर सिंह बिधूड़ी व उत्तर पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार कन्हैया कुमार इस मामले में कामयाब नहीं हुए हैं। कन्हैया कुमार ने अभी तक एक ही चुनाव लड़ा है और वे उसमें हार गए थे। उनकी भांति चांदनी चौक क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार प्रवीन खंडेलवाल को भी जीत नसीब नहीं हुई है। वहीं पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार हर्ष मल्होत्रा व आप के कुलदीप कुमार, नई दिल्ली क्षेत्र से आप के सोमनाथ भारती व उत्तर पश्चिमी दिल्ली क्षेत्र से कांग्रेस के उदित राज अभी तक चुनाव में हारे नहीं हैं।
हार का सिलसिला खत्म करने की चुनौती
चांदनी चौक में जयप्रकाश अग्रवाल का भाजपा के प्रवीन खंडेलवाल के साथ मुकाबला है। प्रवीन खंडेलवाल ने अभी तक एक मात्र चुनाव वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव लड़ा है, जिसमें वह हार गए थे। वहीं जयप्रकाश अग्रवाल को पिछले दोनों लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इस तरह इन दोनों उम्मीदवारों के समक्ष हार का सिलसिला खत्म करने की चुनौती है।
जीत का सिलसिला जारी रखने व हार का सिलसिला खत्म करने की चुनौती
पश्चिमी दिल्ली में महाबल मिश्रा के सामने भाजपा की कमलजीत सहरावत चुनाव लड़ रही हैं। वह वर्ष 2008 में विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं, लेकिन वह एमसीडी के पिछले दोनों चुनाव में जीती। हालांकि लगातार पांच बार (एक बार पार्षद, तीन बार विधायक व एक बार सांसद) चुनाव जीतने वाले महाबल मिश्रा को पिछले दोनों लोकसभा चुनाव व वर्ष 2015 में विधानसभा में चुनाव हार का सामना करना पड़ा था। जबकि उत्तर पश्चिमी दिल्ली में उदित राज ने वर्ष 2014 में इस क्षेत्र से अपना पहला चुनाव लड़ा था और इसमें वह भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। इस बार उनका मुकाबला भाजपा के योगेंद्र चांदोलिया से है। चांदोलिया लगातार तीन बार एमसीडी चुनाव जीत चुके हैं, मगर पिछले दोनों विधानसभा चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा था। उत्तर पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से मनोज तिवारी पिछले दोनों चुनाव जीते हैं, जबकि उनके विरोधी उम्मीदवार कन्हैया कुमार लड़े एक मात्र चुनाव हार गए थे। इस तरह इन उम्मीदवारों के समक्ष जीत का सिलसिला जारी रखने व हार का सिलसिला खत्म करने की चुनौती है।
एक की जीत का सिलसिला टूटना निश्चित
पूर्वी दिल्ली क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार हर्ष मल्होत्रा व आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार चुनाव लड़ रहे हैं। वह अभी तक चुनाव में हारे नहीं हैं। इस बार उनका आमना-सामना होने के कारण एक की जीत का सिलसिला टूटना निश्चित माना जा रहा है। हर्ष मल्होत्रा ने एक मात्र वर्ष 2012 में एमसीडी चुनाव लड़ा है। वहीं कुलदीप कुमार ने वर्ष 2017 में एमसीडी व 2020 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था।
बांसुरी के समक्ष जीत के साथ राजनीतिक जीवन शुरू करने की चुनौती
नई दिल्ली क्षेत्र से आप उम्मीदवार सोमनाथ भारती लगातार तीन बार से विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। उनका मुकाबला भाजपा की बांसुरी स्वराज के साथ है। बांसुरी स्वराज पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। लिहाजा भारती के समक्ष जीत का सिलसिला जारी रखने व बांसुरी के समक्ष जीत के साथ राजनीतिक जीवन शुरू करने की चुनौती है।
दक्षिणी दिल्ली में दोनों उम्मीदवारों के समक्ष जीत का सिलसिला जारी रखने की चुनौती
दक्षिणी दिल्ली क्षेत्र से भाजपा के रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कई चुनाव लड़े हैं और उनका हार-जीत के मामले में मिलाजुला परिणाम रहा है। हालांकि वह पिछला विधानसभा चुनाव जीते थे। वहीं उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे आप के सहीराम पार्षद व विधायक के कई चुनाव जीत चुके हैं। वह हारे भी हैं, मगर पिछले दोनों विधानसभा चुनाव जीते हैं। इस तरह इन दोनों के समक्ष जीत का सिलसिला जारी रखने की चुनौती है।पीटीआई.