दिल्ली: कानून बचाने वाले ही हैं तोड़ने वाले, कांस्टेबल से इंस्पेक्टर तक दर्ज हैं आपराधिक मामले

दिल्ली पुलिसकर्मियों पर बड़ी संख्या में आपराधिक मामले दर्ज हैं। साल 2010 से 30 मई 2017 तक के आंकड़े बयां करते हैं कि कांस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर तक कानून को संभालने में नहीं उसे तोड़ने में जुटे हैं। सूचना के अधिकार के तरह मिले इन आंकड़ों को ब्योरेवार और नाम के साथ मुहैया कराया गया है। कहां, किस हालात में पुलिसवाले पीड़ितों को मदद करने के बजाए उनसे वसूली करते, शोषण करते पाए गए और फिर विभागीय दंश झेलते हुए इस समय कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैनात दिल्ली पुलिस के आधा दर्जन कर्मियों ने विभाग की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है। इनमें तीन कांस्टेबल, एक हवलदार, दो सब इंस्पेक्टर शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ धारा 420/406, 279/337, 498ए/406, 323, 31/3 और यहां तक कि 354, 377/506/34 के तहत मामले दर्ज हैं। इसी तरह दिल्ली सशस्त्र पुलिस की चौथी बटालियन के 16 कांस्टेबल, चार हवलदार और एक एएसआइ के खिलाफ मामले दर्ज पाए गए हैं। इन सभी के खिलाफ अपराध शाखा, सतर्कता, मुखर्जीनगर, बागपत (उत्तर प्रदेश), चाणक्यपुरी, छावला, मधु विहार, द्वारका दक्षिण, कनाट प्लेस, मौरिशनगर, करौली राजस्थान और झज्झर हरियाणा के बेरी में मामले दर्ज हैं। दिल्ली पुलिस की महिला और बच्चों के लिए बनी इकाई में भी तैनात दो कांस्टेबल के खिलाफ मामले दर्ज हैं।

पुलिस मुख्यालय में तैनात एक सहायक सब इंस्पेक्टर के खिलाफ दहेज प्रताड़ना, हवलदार के खिलाफ लापरवाही, एक इंस्पेक्टर के खिलाफ जहरखुरानी और शारीरिक रूप से छेड़छाड़ के मामले दर्ज हैं। इसी तरह मुख्यालय में ही तैनात एक सब-इंस्पेक्टर, स्पेशल ग्रेड पर हवलदार से एएसआइ बने और एक अन्य सब-इंस्पेक्टर पर दहेज प्रताड़ना, अमानत में खयानत जैसे मामले विंदापुर थाने में दर्ज हैं। उत्तर-पूर्वी जिले में नौ पुलिसकर्मियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हैं। जबकि दक्षिण-पश्चिम जिले में सबसे ज्यादा चार इंस्पेक्टरों, दो सब इंस्पेक्टर, छह सहायक सब इंस्पेक्टर, 15 हवलदार और महिला कांस्टेबलों सहित 33 कांस्टेबलों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं, 141/451, 323, 427, 376,506,451,354, दहेज प्रताड़ना, सहित अन्य आपराधिक मामले दर्ज पाए गए हैं। विशेष प्रकोष्ठ के 2010 से मई 2017 तक के आंकड़े बताते हैं कि हर साल कभी हवलदार तो कभी कांस्टेबल व एएसआइ आपराधिक मामले के शिकंजे में फंसे हैं। इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से लेकर मुजफ्फरनगर के भूराकलां, छावला में संपत्ति नष्ट करने, विजय विहार, दिल्ली के रूपनगर व सनलाइट कालोनी सहित हरियाणा के सोनीपत और राजस्थान के सीकर जिले में मामले दर्ज हैं। अकेले उत्तर-पश्चिम जिले में 30 जबकि प्रथम बटालियन के 69 पुलिसवाले खुद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले झेल रहे हैं। सूचना के अधिकार के तहत जीशान हैदर को दिए जवाब में मेट्रो के उपायुक्त सह जनसूचना अधिकारी ने बताया है कि तीन पुलिसवालों के खिलाफ इस समय आपराधि

क मामले दर्ज हैं। जबकि पश्चिम जिले के 35 पुलिसवालों के खिलाफ मामले लंबित हैं और 43 पुलिसवाले आपराधिक मामलों में शामिल पाए गए हैं।
रसद एवं आपूर्ति के एक सिपाही पर महिला के साथ छेड़छाड़, एक एएसआइ पर दहेज उत्पीड़न, तीन सिपाही पर महिला सिपाही के साथ छेड़छाड़, एक इंस्पेक्टर और एक कांस्टेबल पर फंसाने का आरोप, एक हवलदार पर हत्या और आर्म्स एक्ट, एक कांस्टेबल पर पत्नी के साथ उत्पीड़न, एक कांस्टेबल पर पड़ोसी की हत्या, बुलंदशहर में भीमराव आंबेडकर की मूर्ति तोड़ने, एक एएसआइ पर भ्रष्टाचार, एक हवलदार पर बलात्कार पीड़िता को धमकी देने, हंगामा करने जैसे मामले दर्ज पाए गए हैं। इसी तरह संचालन और संचार इकाई में तैनात 43 पुलिसवालों पर मामले दर्ज हैं। दक्षिण-पूर्वी जिले के 29 और बाहरी जिले के 15 कर्मियों पर अलग-अलग धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं।  पीसीआर के 138 कर्मियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि दक्षिणी जिला के 83, उत्तर-पूर्वी जिला के 77, अपराध शाखा के 33, विशेष शाखा के 20 पुलिसवाले व सातवीं बटालियन के करीब 52 पुलिसवाले इस समय आपराधिक मामले की चपेट में हैं। जबकि उत्तरी जिले में इस समय 47 पुलिसवाले अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले का सामना कर रहे हैं। मध्य जिला पुलिस के जनसूचना अधिकारी ने साल 2010 से 2017 मई तक 83 पुलिसवालों की सूची सौंपी है। बाहरी जिला के दो पुलिसवाले के खिलाफ कोर्ट में मामले लंबित चल रहे हैं। नव निर्मित रोहिणी जिले में इस समय तीन पुलिसवाले भ्रष्टाचार के आरोपी हैं।

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