मेट्रो किराया वृद्धि पर संशय! दिल्ली विधानसभा के प्रस्ताव के बाद डीएमआरसी ने बुलाई आपात बैठक
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने आज (09 अक्टूबर) रात बोर्ड की आपातकालीन बैठक बुलाई है। इस बैठक में मेट्रो किराया बढ़ोत्तरी विवाद पर उपजे गतिरोध पर चर्चा की जाएगी। मंगलवार (10 अक्टूबर) से मेट्रो का किराया बढ़ाने का प्रस्ताव है। बता दें कि दिल्ली विधानसभा ने इससे एक दिन पहले आज ही मेट्रो के किराया बढ़ोत्तरी के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पहले से ही मेट्रो किराया बढ़ोत्तरी का विरोध कर रही है। इससे पहले दिल्ली सरकार ने कहा था कि वो आधी रकम अनुदान के तौर पर देने को तैयार है और आधी केंद्र सरकार दे। दरअसल, दो दिन पहले केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने यह प्रस्ताव दिया था कि अगर दिल्ली सरकार चाहती है कि मेट्रो का किराया न बढ़े तो पांच साल तक सालाना 3000 करोड़ रुपये का अनुदान डीएमआरसी को दे।
इस बीच डीएमआरसी के टॉप अफसर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। माना जा रहा है कि किराया विवाद पर अधिकारी बीच का रास्ता निकालने पर चर्चा कर रहे हैं। सोमवार (09 अक्टूबर) को ही दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि मेट्रो का किराया बढ़ाने से आमलोग इससे दूर होंगे। लगे हाथ ओला और उबर जैसी कंपनियों को फायदा होगा।
गौरतलब है कि दिल्ली मेट्रो का किराया बढ़ाने पर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार कई दिनों से आमने-सामने है। जहां केंद्र की बीजेपी सरकार किराया बढ़ाना चाहती है, वहीं दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार किराया बढ़ाने का विरोध कर रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एलान किया है कि यदि केंद्र इजाजत दे तो उनकी सरकार दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) को अपने अधिकार करने को तैयार है। उनका कहना है कि यदि मेट्रो पूरी तरह दिल्ली सरकार को सौंप दी जाती है तो वह बगैर किराया बढ़ाए अन्य तरीकों से इसका सुचारु परिचालन करेंगे।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने रविवार को केंद्रीय शहरी विकास एवं आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी को एक जवाबी चिट्ठी भी भेजी। पुरी ने मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजकर कहा था कि यदि मेट्रो का किराया नहीं बढ़ाया गया तो इसके घाटे की पूर्ति के लिए दिल्ली सरकार को प्रत्येक साल तीन हजार करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता मेट्रो को देनी पड़ेगी। इसके जवाब में केजरीवाल ने लिखा है कि दिल्ली मेट्रो में केंद्र और दिल्ली सरकार की बराबर हिस्सेदारी है। ऐसे में केंद्र को भी 1500 करोड़ रुपए देने चाहिए, बाकी का 1500 करोड़ रुपए दिल्ली सरकार चुकाने को तैयार है।