एक दूसरे बालिका गृह में लड़कियों के स्वास्थ्य की जांच हेतु गई डाक्टरों को नही जाने दिया गया अंदर
भागलपुर के बालिका गृह में रह रही लड़कियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए गई डाक्टरों की टीम को बैरंग लौटना पड़ा। वहां पहुंची महिला चिकित्सकों को संचालक एनजीओ ने अंदर प्रवेश नहीं करने दिया । इनके स्वास्थ्य की जांच का आदेश ज़िलाधीश प्रणब कुमार ने अपने औचक मुआयने के दौरान दिया था। यहां की बालिका गृह में फिलहाल 29 लड़कियां है। समाज कल्याण बाल संरक्षण की प्रभारी सहायक निदेशक अर्चना कुमारी ने इतवार को बताया कि डाक्टरों की टीम दोबारा जल्द वहां जांच करने भेजी जाएगी। मगर नाबालिग लड़कियों के स्वास्थ्य की जांच करने से मना करने से लोगों का एनजीओ पर शक बढ़ गया है। कि कहीं मुजफ्फरपुर बालिका गृह जैसी कोई बात तो नहीं।
जबकि समाज कल्याण के पटना मुख्यालय से एनजीओ के इस रवैए पर नाराजगी जताते हुए कड़ा रुख अख्तियार किया है। और इसके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है। ध्यान रहे कि टाटा इंस्टीच्यूट आफ सोशल स्टडीज की सोशल आडिट में एनजीओ के खिलाफ बच्चों को मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना देने का जिक्र किया है। इसी आधार पर बीती 18 जुलाई को इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच की जा रही है। इसी सिलसिले में शेल्टर होम के पूर्व अधीक्षक प्रदीप शर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है।
बालिका गृह की लड़कियों के स्वास्थ्य जांच के लिए जिला प्रशासन के निर्देश पर सिविल सर्जन डा. विजय कुमार ने दो सदस्यीय महिला डाक्टरों की टीम वहां भेजी। जिनमें डा. आभा सिंहा और डा. प्रियंका रानी है। मगर संचालन करने वाली रुपम प्रगति समाजसमिति स्वयं सेवी संस्था के सुरक्षा गार्ड ने महिला डाक्टरों को अंदर जाने से रोक दिया । और कहा कि यहां कोई जांच नहीं होगी ।जिससे बिना जांच किए टीम वापस लौट गई और बालिका गृह की लड़कियो के स्वास्थ्य की जांच नहीं हो सकी। हालांकि बाल गृह के बच्चों की जांच करने में कोई अड़चन पैदा नहीं की गई। यहां का बाल गृह और बालिका गृह किराए के एक ही भवन में चलता है। फर्क यही है कि अंदर उनके रहने का इंतजाम अलग अलग है। बाल गृह के लड़कों के स्वास्थ्य की जांच के लिए गठित डाक्टरों की टीम को बगैर रोक टोक के अंदर जाने दिया। डाक्टरों ने वहां रह रहे 42 लड़को के स्वास्थ्य की जांच की । जिनमें कुछ बच्चों में पोषक तत्वों की कमी पाई है। जिन्हें दवाईयां भी दी गई।