खबर आने से एक महीने पहले से जारी था डोकलाम विवाद, चीन ने तैनात किए थे 12 हजार सैनिक, 150 टैंक

भारत और चीन के बीच हुए डोकलाम विवाद के दौरान आम धारणा ये थी कि मौके पर बहुत कम संख्या में सैनिक तैनात थे लेकिन एक नई किताब से उजागर हुआ है कि चीन ने एक समय 12 हजार सैनिक, 150 टैंक और आर्टिलरी बंदूकें चुम्बी घाटी में तैनात कर रखी थीं। चीन का फारी डजोंग इलाका भारत के सिक्किम के ठीक दूसरी तरफ स्थित है जहां चीन ने ये जमावड़ा कर रखा था। नितिन ए गोखले की किताब “सिक्योरिंग इंडिया द मोदी वेः पठानकोट, सर्जिकल स्ट्राइक एंड मोर” (ब्लूम्सबरी प्रकाशन) में डोकलाम की अनमैन्ड एरियल वेहिकल (यूएवी) से ली गयी तस्वीरें भी शामिल की गयी हैं। किताब के अनुसार डोकलाम विवाद दरअसल मई में शुरू हो चुका था लेकिन चीनियों ने 26 जून को इसे सार्वजनिक किया। डोकलाम विवाद करीब 73 दिनों बाद ही सुलझा।

किताब में डोकलाम विवाद के हर घटनाक्रम की जानकारी के साथ ही भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, सेना के वरिष्ठ अफसरों और नरेंद्र मोदी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के बयान भी हैं। उप-राष्ट्रपति शुक्रवार (29 सितंबर) को नई दिल्ली में इस किताब को लोकार्पण करेंगे।  किताब के अनुसार जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा तो चीन ने भारत के सिक्किम के सामने स्थिति अपनी चौकी पर सैनिकों की संख्या काफी बढ़ा दी थी। भारतीय सेना ने भी सैनिकों की संख्या बढ़ा दी थी।

किताब के अनुसार जहां दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने थे वहाँ चीनी लाउडस्पीकर लगाकर बार-बार 1962 के युद्ध के सबक की बात दोहरा रहे थे। चीनियों ने अपने बचाव के लिए पत्थर और मिट्टी से अस्थायी निर्माण भी करना शुरू कर दिया था। चीनियों ने अपने पहाड़ी इलाके में बारूद का प्रयोग करके कुछ इलाकों को सड़क यातायात लायक भी बनाया। किताब में दोनों देशों के सैनिकों को बिल्कुल आमने-सामने खड़ा देखा जा सकता है। तस्वीरों से साफ है कि मई के तीसरे हफ्ते तक डोकलाम विवाद शुरू हो चुका था। किताब के अनुसार 21 मई को चीन के स्थानीय कमांडर ने भारतीय सेना को सूचित किया कि वो इलाके मे “निर्माण कार्य करने जा रहे हैं।”

भारतीय यूएवी में चीनी और भूटनी सैनिकों के बीच मुठभेड़ भी दर्ज है। मामूली झड़प के बाद दोनों देशों के सैनिक अपनी-अपनी पोस्ट पर लौट गये। दोनों देशों के बीच दूसरी झड़प पांच जून को हुई। शुरुआत चीनी सैनिकों ने की जब वो भूटानी सैनिकों को जबरदस्ती हटाने लगे और उन्हें धमकी देने लगे। नई दिल्ली को इसकी खबर मिली तो भारतीय सेना ने हस्तक्षेप का फैसला किया। 16 जून की सुबह चीनी सेना ने अपने नौ भारी गाड़ियों और एक चीनी सेना की गाड़ी के अलावा सड़क बनाने से जुड़े साजोसामान वहां भेजे। किताब के अनुसार उस दिन सुबह 7.50 से 10.10 तक भारतीय और चीनी सैनिकों में इस पर बात हुई। दोपहर 12.51 से 1.31 बजे तक आठ भूटानी सैनिकों के पेट्रोल ने चीनियों से बात की। किताब के अनुसार भारत ने लाउडस्पीकर से सड़क निर्माण रोकने की अपील की लेकिन चीनी नहीं माने।

 किताब के अनुसार 18 जून को चीनियों ने फिर से सड़क बनानी शुरू कर दी। भारतीय सेना ने चार बार उनके काम रोकने के लिए कहा लेकिन वो नहीं रुके। भारतीय सैनिकों ने ऊपर तक बात पहुंचायी। नई दिल्ली से चीनियो को रोकने का आदेश आया। किताब के अनुसार भारतीय सैनिकों ने मानव-शृंखला बनाकर चीनियों को रोक दिया।  उसी दिन 150 चीनियों ने भी भारतीयों के सामने ही मानव-शृंखला बना ली। ये विवाद अगले 73 दिनों तक जारी रहा। 28 अगस्त को दोनों देशों के बीच अंतिम सहमति बनी। सात सितंबर को दोनों देशो के सैनिक 150 मीर पीछे हट गये।

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