डोकलाम विवाद: केवल 150-150 मीटर पीछे हटी हैं भारत और चीन की सेनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन में हुए ब्रिक्स देशों के सालाना सम्मेलन में शामिल होने और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मंगलवार (पांच सितंबर) द्वीपक्षीय वार्ता के बाद डोकलाम विवाद से जुड़े नए तथ्य सामने आए हैं। डोकलाम में दोनों देशों की सेनाएँ अपनी पुरानी स्थिति से पीछे हटी हैं लेकिन वो वहाँ अभी भी मौजूद हैं। 28 अगस्त से दोनों देशों की सेनाएं करीब 300 मीटर की दूरी पर हैं। कई सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 28 अगस्त को जारी भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान के अनुरूप ही दोनों देशों की सेनाएं, उनके टेंट और सड़क निर्माण के सामान विवादित जगह से पीछे हट गये हैं लेकिन केवल 150 मीटर के करीब।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार दोनों देशों के बीच डोकलाम में सेनाएं पीछे हटाने को लेकर कूटनीतिक बातचीत बीजिंग में हुई। भारतीय दल का नेतृत्व चीन में भारत के राजदूत विजय गोखले कर रहे थे। भारत सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारी इस बातचीत को निर्देशित कर रहे थे। बातचीत के दौरान भारतीय सेना मुख्यालय से भी नियमित सलाह-मशविरा लिया गया। नाथू ला स्थित ब्रिगेडियर को आखिरी प्रस्ताव 26 अगस्त को भेजा गया। उन्होंने अपने चीनी समकक्ष के साथ मिलकर दोनों तरफ से सेनाएं पीछे हटाने की प्रक्रिया तय की।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने डोकलाम पर समझौते से जुड़े 28 अगस्त को दो बयान जारी किए। पहला दोपहर बयान दोपहर में और दूसरा शाम को। समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाओं को एक-एक कर गतिरोध की जगह से पीछे हटना था। डोकलाम में दोनों देशों की सेनाएं 71 दिनों तक चंद कमदों की दूरी पर आमने-सामने थीं। भारतीय सैनिक, उनके टेंट और बुलडोजर भूटान की सीमा में करीब 400 मीटर अंदर थे। समझौते के तहत भारतीय सेना को समझौला लागू होने के दिन दोपहर तक अपनी सीमा में चले जाना था। उसके बाद चीनी सेना को पीछे जाना था। उसके बाद दोनों देशों की सेनाओं को इसकी पुष्टि करनी थी कि क्या दूसरे देश की सेना समझौते के अनुरूप पीछे गयी है या नहीं।
सूत्रों के अनुसार जहां भारत की चीन से नई दिल्ली से नाथु ला तक संचार व्यवस्था सुचारू और त्वरित रूप से काम रही थी, वहीं चीनी सेना और चीनी राजसत्ता के बीच संचार उतना कुशल और त्वरित नहीं लगा था इसलिए डोकलाम में कुछ गफलत भी हुई जिसकी वजह से भारतीय सेना फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी। उसके बाद नई दिल्ली से डोकलाम के बीच कई बार फोन पर बातचीत हुई। परिणामस्वरूप भारतीय सेना शंका के साथ ही पीछे हटने के फैसले पर कायम रही। दोपहर तक भारतीय सेना करीब 150 मीटर पीछे हट गयी। पहले सैनिक हटे, फिर टेंट और अंत में बुलडोजर। एक सूत्र के अनुसार, “डोकलाम में मौसम खराब होने के कारण चीनी सेना ने समझौते के तहत पीछे हटने के लिए थोड़ा ज्यादा वक्त मांगा।” चीनी सेना दोपहर बाद तक करीब 150 मीटर पीछे हट गयी थी। भारतीय सेना ने जब चीनी सेना की नई स्थिति की पुष्टि कर ली उसके बाद ही विदेश मंत्रालय ने दूसरा बयान जारी किया।
सूत्रों के अनुसार दोनों सेनाओं की मौजूदा स्थिति भी अस्थायी है और वो और पीछे हटेंगी। दोनों सेनाओं धीरे-धीरे 16 जून की स्थिति आ जाएंगी और वहीं तैनात रहेंगी। 16 जून को डोकलाम में सड़क बना रहे चीनियों को भारतीय सैनिकों ने रोक दिया था जिसके बाद दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हो गया था। हालांकि सूत्र ये नहीं बता सके कि दोनों देशों की सेनाएं 16 जून की स्थिति में कब तक पहुंचेगी। केंद्र सरकार में उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि चीनी सीमा पर तैनात भारत की पूर्वी कमान को त्वरित कार्रवाई के लिए तैयार करने के प्रस्ताव को सरकार ने लागू कर दिया है। इसके तहत ज्यादा ऊंचाई वाली चौकियों पर करीब एक-तिहाई ब्रिगेड हमेशा मौजूद रहेगी। बाकी बटालियन नीचे रहेंगी लेकिन त्वरित सूचना के आधार पर मौके पर पहुंचने के लिए हर दम तैयार रहेंगी। सरकार ने शांतिकाल में पीछे रहने वाले कुछ तोपों और दूसरे आयुधों को भी आगे बढ़ाये जाने की योजना है। सेना के इंजीनियरों को इसकी तैयारी करने के लिए कहा गया है। चीनी सीमा की निगरानी बढ़ाने के लिए यूएवी के प्रयोग की भी योजना है। सूत्र के अनुसार ये सारे फैसले डोकलाम विवाद और चीन की किसी तरह की भावी कार्वाई को ध्यान में रखते हुए लिए गए हैं।