EC: वोट डालने से क्यों कतराते हैं थर्ड जेंडर मतदाता? चुनाव आयोग ने डेटा जारी कर बताई ये बड़ी वजह
Election Commission: चुनाव प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 48,194 लोग थर्ड जेंडर मतदाता के रूप में मतदान करने के पात्र थे, जबकि 2019 में यह संख्या 39,075 थी।
केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 में ‘थर्ड जेंडर’ मतदाताओं को लेकर आंकड़े जारी किए हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए ‘थर्ड जेंडर’ श्रेणी में नाम तो जमकर जुड़वाए, लेकिन उनमें से केवल 27 प्रतिशत ही मतदान केंद्रों पर पहुंचे।
पिछले सप्ताह चुनाव प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 48,194 लोग थर्ड जेंडर मतदाता के रूप में मतदान करने के पात्र थे, जबकि 2019 में यह संख्या 39,075 थी। पांच साल की अवधि में 23.5 प्रतिशत की वृद्धि। लेकिन उनमें से केवल 13,058 ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया। जो कुल पंजीकृत थर्ड जेंडर मतदाताओं का संख्या का 27 प्रतिशत है।
इसलिए थर्ड जेंडर नहीं डालने जाते वोट
आंकड़ों के अनुसार तमिलनाडु में सबसे अधिक 8,467 थर्ड जेंडर के मतदाता पंजीकृत हैं, लेकिन केवल 2,709 ने ही मतदान किया। 2019 के लोकसभा चुनावों में उनकी कुल भागीदारी 14.64 प्रतिशत थी। जो 2024 के संसदीय चुनावों की तुलना में लगभग आधी है। इन मतदाताओं के कम वोटिंग करने के पीछे की वजह भी सामने आई है। रिपोर्ट्स की मानें तो कई पंजीकृत थर्ड जेंडर मतदाताओं ने मतदान केंद्रों पर कतार में लगने में अनिच्छा व्यक्त की है। उनका दावा है कि उन्हें तिरस्कार की दृष्टि से देखा जाता है और सुरक्षा कर्मियों द्वारा बार-बार उनकी पहचान साबित करने के लिए कहा जाता है।
भाजपा को कांग्रेस से 2300 करोड़ अधिक दान
देश के दो प्रमुख राजनीतिक दलों- भाजपा और कांग्रेस को 2800 करोड़ रुपये से अधिक राशि मिली। सत्तारूढ़ भाजपा को 2023-24 के दौरान 2,604.74 करोड़ रुपये से अधिक, जबकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस को 281.38 करोड़ रुपये का योगदान मिला।
भाजपा को किन माध्यमों से मिले चंदे
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, भाजपा को प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 723 करोड़ रुपये से अधिक का दान प्राप्त हुआ। ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट की तरफ से भाजपा को 127 करोड़ रुपये, जबकि आइन्जीगार्टिग इलेक्टोरल ट्रस्ट से 17 लाख रुपये से अधिक का दान मिला।
देश के छह राष्ट्रीय दलों को 63 प्रतिशत से अधिक वोट
इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में देश के छह राष्ट्रीय दलों ने कुल वैध मतों में से 63 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [सीपीआई (एम)], आम आदमी पार्टी (आप) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) छह राष्ट्रीय दल हैं।
चुनावी चौसर पर कितने लोगों ने भाग्य आजमाए
चुनाव आयोग (ईसी) ने गुरुवार को जो आंकड़े जारी किए हैं इसके अनुसार, छह मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों के अलावा, 47 मान्यता प्राप्त राज्य दलों और 690 पंजीकृत, गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने संसदीय चुनाव लड़े। आंकड़ों के अनुसार, 3,921 स्वतंत्र उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, लेकिन उनमें से केवल सात ही निर्वाचित हुए। इसके अलावा, 3,905 स्वतंत्र उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। उनका वोट शेयर कुल वैध मतों का 2.79 प्रतिशत रहा। 3,921 स्वतंत्र उम्मीदवारों में से 279 महिलाएं थीं।
2019 की तुलना में कितना अधिक मतदान?
2024 में नोटा (इनमें से कोई नहीं) विकल्प को 63,71,839 या 0.99 प्रतिशत वोट मिले, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 1.06 प्रतिशत था। 2019 में 91.19 करोड़ से अधिक की तुलना में 2024 में 97.97 करोड़ से अधिक नागरिकों ने खुद को मतदाता के रूप में पंजीकृत किया था। जिसमें 7.43 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली। चुनाव आयोग ने कहा कि इन पंजीकृत मतदाताओं में से 64.64 करोड़ ने 2024 में वोट डाले, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 61.4 करोड़ था।
आधी आबादी ने पुरुष मतदाताओं को पीछे छोड़ा
इस साल पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक वोट डाले हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक इस साल के चुनाव में महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 65.78 रहा जबकि पुरुष मतदाताओं का मतदान प्रतिशत 65.55 रहा। आयोग ने कहा कि इस बार चुनाव लड़ने वाली महिला उम्मीदवारों की संख्या 800 रही जबकि 2019 के चुनावों में यह संख्या 726 थी। आंकड़े जारी करने के मकसद पर निर्वाचन आयोग ने कहा, स्वतः संज्ञान लेकर यह पहल की गई है। इसका मकसद जनता का विश्वास बढ़ाना है। यही भारत की चुनावी प्रणाली का आधार भी है।