बुजुर्ग दंपति ने राष्ट्रपति से माँगी इच्छामृत्यु की अनुमति
च्छामृत्यु या एक्टिव यूथनेशिया का एक विचित्र मामला सामने आया है। मुंबई के एक निसंतान बुजुर्ग दंपति ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति देने की मांग की है। दंपति ने पत्र में लिखा कि टर्मिनली इल (बीमारी के कारण शरीर का काम न कर पाना) होने की स्थिति में वह समाज के लिए अपना कोई योगदान नहीं कर सकेंगे। दंपति ने बताया कि इस डर के कारण उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर एक्टिव यूथनेशिया की अनुमति देने की मांग की है। एक्टिव यूथनेशिया में आमतौर पर पेन किलर का ओवरडोज दिया जाता है, ताकि व्यक्ति की मौत हो जाए।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला मुंबई के चारणी रोड के समीप स्थित ठाकुरद्वार में रहने वाले एक बुजुर्ग दंपति की है। ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इरावती लवाटे (79) और उनके पति नारायण (86) को किसी तरह की शारीरिक परेशानी नहीं है। इरावती स्कूल प्रिंसिपल रह चुकी हैं, जबकि नारायण पूर्व सरकारी कर्मचारी हैं। दोनों को कोई बच्चा नहीं है जो बढ़ती उम्र में उनकी देखभाल कर सके। दंपति बीमारी और समाज के लिए कोई योगदान नहीं कर पाने के भय से ग्रसित हैं। इरावती ने कहा, ‘शादी के पहले साल में ही हमलोगों ने बच्चा नहीं करने का फैसला कर लिया था। बुजुर्ग अवस्था में हमलोग नहीं चाहते कि कोई दूसरा हमारी जवाबदेही ले।’ नारायण महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम में थे, जबकि इरावती चारणी रोड स्थित आर्यन ईएस. हाई स्कूल में साइंस टीचर थीं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति को क्षमादान का अधिकार है, ऐसे में उन्हें ‘मौत का अधिकार’ देनेे की अनुमति का अख्तियार भी होना चाहिए। यही सोच कर उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखा।
भारतीय कानून में इच्छामृत्यु का प्रावधान नहीं है। अरुणा शानबाग मामले में यह मुद्दा खूब उछला था, लेकिन इस दिशा में किसी तरह की प्रगति नहीं हो सकी थी। इच्छामृत्यु को वैध बनाने का मामला कोर्ट में भी जा चुका है। मालूम हो कि यौन हिंसा की शिकार हुईं अरुणा शानबाग कोमा में चली गई थीं। यहां तक कि उनका परिवार भी उन्हें छोड़ चुका था। पिंकी विरानी ने उन्हें इच्छामृत्यु देने की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका था। आखिरकार उन्होंने वर्ष 2015 में दुनिया को अलविदा कह दिया था।