वाराणसी में जुटे 150 से भी ज्यादा तलाकशुदा पति और किया जीवित पूर्व पत्नियों का श्राद्ध व पिंडदान
उत्तर प्रदेश के वाराणसी, जिसे लोग मोक्ष की नगरी भी मानते हैं, यहां काफी संख्या में पत्नी से विक्षुब्ध पति आ रहे हैं। बताया जाता है कि वाराणसी के मणिकर्णा घाट पर 150 से ज्यादा तलाकशुदा पतियों ने जीवित पूर्व पत्नियों का श्राद्ध व पिंडदान किया। टाईम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ ही दिनों पहले करीब 160 लोग यहां आये थे और बनारस के घाटों पर तलाक दे चुके पत्नी का अंतिम संस्कार किया था। इसके साथ ही ‘नारीवाद की बुराईयों’ का सामना करने के लिए तांत्रिक अनुष्ठान भी करवाया। हैरानी की बात ये है कि इन लोगों ने जिनका अंतिम संस्कार किया, वे अभी जीवित हैं, लेकिन इनसे अलग हो चुकी हैं। बनारस के घाटों पर अंतिम संस्कार करवाने आए पुरूष देश के अलग-अलग हिस्सों से थे और सेव इंडिया फैमिली फाउंडेशन (एसआईएफएफ) एनजीओ से जुड़े हुए थे। इन्होंने अपनी असफल हो चुकी शादी से जुड़ी यादों से छुटकारा पाने के लिए गंगा किनारे पूर्व पत्नी का पिंड दान और श्राद्ध किया। साथ ही ‘पिशाचिनी मुक्ति’ पूजा भी की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, एसआईएफएफ और वास्तव फाउंडेशन के अध्यक्ष मुंबई निवासी अमित देशपांडे ने कहा कि, “मणिकर्णा घाट पर यह पूजा बुरी यादों को भूलने के लिए किया गया था।” एसआईएफएफ के संस्थापक राजेश वखरिया ने बताया कि, “कहा जाता है कि भारत में पितृसत्तात्मक समाज है, लेकिन यहां पति की सुरक्षा के लिए किसी तरह का अधिकार नहीं है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स के अनुसार भारत में हर 6.5 मिनट पर एक पति को पत्नी द्वारा मानसिक प्रताड़ना की वजह से आत्महत्या के लिए मजबूर किया जाता है।” हालांकि, एनसीआरबी द्वारा ‘पत्नी द्वारा मानसिक उत्पीड़न की वजह से आत्महत्या’ की कोई जानकारी नहीं दी है। एनसीआरबी डाटा मुख्य रूप से पुरूष और स्त्रियों द्वारा आत्महत्या के बाद उनके वैवाहिक स्थिति के आधार पर वर्गीकृत करता है।