जानवरों का कब्रगाह बना इटावा सफारी पार्क
मुलायम सिंह यादव ने कल्पना की थी इटावा सफारी पार्क की। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव के सपने को साकार करने के दुर्गम बीहड़ में लायन सफारी का निर्माण शुरू कराया। पर इतने वर्ष बाद भी इटावा सफारी पार्क बनकर इस लायक नहीं हो सका कि उसे आम दर्शकों के लिए खोला जा सके।
इस बीच ये पार्क जानवरों के लिए क़ब्रगाह बनी हुई है पिछले 3 वर्षों मे दर्जनों जानवरों की मौत हो चुकी है और ये पार्क लगातार उपेक्षा का शिकार हो रहा है ।
इटावा सफारी पार्क में शंकर भालू की मौत
24 दिसंबर 2017 को पौ फटने से पहले 3:51 बजे शंकर नाम के भालू की जिंदगी की लौ बुझ गई। वह 12 दिसंबर से गंभीर रूप से बीमार था। इटावा सफारी पार्क में छह महीने पहले लाए गए चार भालुओं में से एक था शंकर। इन चार भालुओं को शुरू से एनीमल हाउस में रखा गया है और इन्हें सफारी में शिफ्ट किए जाने की तैयारी चल ही रही थी कि शंकर सहित एक अन्य भालू टीबी की चपेट में आ गया। इन भालुओं को ओड़ीशा के नंदनकानन पार्क और रांची के चिड़ियाघर से यहां लाया गया था । इटावा सफारी पार्क के बनने से लेकर अब तक लगभग 12 वन्य जीवों की मौत हो चुकी हैं। इनमें से दो शेर, एक शेरनी और पांच शावक शामिल हैं। सफारी में लाए जाने के छह महीने के अंदर ही एक भालू की मौत हो गई है। इसी तरह सितंबर के महीने में बीहड़ क्षेत्र से लाए घायल तेंदुए के बच्चे की मौत हो गई थी।
30 अक्तूबर 2014 से शुरू हुआ था मौतों का सिलसिला
हैदराबाद से लाए गए जोड़े में शामिल शेरनी लक्ष्मी की मौत 30 अक्टूबर 2014 को हुई थी। इसी तरह, गुजरात से लाई गई एक स्वस्थ शेरनी तपस्या की मौत सफारी में पहुंचने के 15 दिन के अंदर हो गई थी। शुरू में वह क्वारेनटाइन हाउस में रखी गई थी और ब्रीडिंग सेंटर में उसे ले जाया जाना था, पर उससे पहले ही उसकी मौत हो गई।
योगी सरकार कर रही उपेक्षा
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि इटावा सफारी पार्क को योगी सरकार में लगातार उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है। योगी सरकार के तमाम मंत्री और सत्तारूढ़ दल के प्रतिनिधि इटावा सफारी पार्क में घूमने के लिए पहुंच तो रहे हैं पर सरकार इसको पूरा कराने की जहमत नहीं उठा रही है।
जारी नहीं किया जा रहा बजट
आवास विकास परिषद के अघिशासी अभियंता अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि सफारी पार्क को पूरा करने के लिए बीस करोड़ रुपए की दरकार है। सफारी बनाने के मद में भुगतान के 18 करोड़ बकाया हैं। दो करोड़ इस प्रोजेक्ट को पूरा कराने में लगने हैं। कई दफे प्रस्ताव भेजे जाने के बाद भी बजट जारी नहीं किया जा रहा है, जिससे इटावा सफारी पार्क का निर्माण पूरा होने के आखिरी चरण में फंसा हुआ है।