सेंसर चीफ पद से हटते ही पहलाज निहलानी भूले ‘संस्कार’ बने इरोटिक फिल्म जूली-2 के वितरक
फिल्मों में “इंटरकोर्स” शब्द के प्रयोग पर आपत्ति जताने वाले और एक खास अवधि से ज्यादा लंबे किसिंग सीन पर ऐतराज जताने वाले पहलाज निहलानी एक इरोटिक फिल्म के प्रजेंटर है। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रमुख रहते हुए पहलाज निहलानी जिस तरह की फिल्मों का विरोध करते रहे अब ठीक वैसी ही फिल्म को प्रस्तुतकर्ता बन गए हैं। साल 2015 में सेंसर बोर्ड के प्रमुख बनाए गए निहलानी को पिछले हफ्ते पद से हटा दिया गया। उनकी जगह गीतकार और विज्ञापन लेखक प्रसून जोशी को सीबीएफसी का नया चीफ बनाया गया।
हथकड़ी, आंधी-तूफान, पाप की दुनिया जैसी फ्लॉप और शोला और शबनम और आंखें जैसी हिट फिल्मों के प्रोड्यूसर निहलानी नेहा धूपिया की साल 2004 में आई फिल्म जूली का सिक्वल पेश कर रहे हैं। फिल्म का निर्देशन दीपक शिवदासनी कर रहे हैं। दीपक शिवदासनी ने ही नेहा धूपिया की डेब्यू फिल्म का निर्देशन किया था। जूली-2 का पोस्टर पिछले महीने रिलीज हुआ था। फिल्म के पोस्टर में एक महिला की निर्वस्त्र पीठ दिख रही है। पोस्टर पर “बोल्ड, ब्यूटीफूल…ब्लेस्ड” स्लोगन लिखा हुआ है। फिल्म में अभिनेत्री रानी लक्ष्मी मुख्य भूमिका में हैं। पहलाज निहलानी ने सेंसर प्रमुख रहने के दौरान जैसे “संस्कार” दिखाए थे उन्हें देखते हुए पद छोड़ते ही ऐसी फिल्म के प्रजेंटर बनने पर हैरानी होना स्वाभाविक है। मंगलवार (पांच सिंतबर) को निहलानी इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज करने वाले हैं। एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “पोस्टर से साफ है कि फिल्म इरोटिका है। ये काफी बोल्ड होगी। पहलाज निहलानी न केवल इसके प्रजेंटर हैं बल्कि वो इसके वितरक भी हैं।”
पहलाज निहलानी ने जिस तरह अलंकृता श्रीवास्तव की फिल्म “लिपस्टिक अंडर माई बुरका” पर “महिला केंद्रित” और “महिलाओं के लिए खतरा” बताकर प्रतिबंध लगााय था उसे लोग भूले नहीं हैं। अलंकृता की फिल्म में विभिन्न उम्र की महिलाओं की यौनिकता और समाज के बीच सामंजस्य और संघर्ष की कहानी है। इससे काफी पहले निहलानी ने जेम्स बॉण्ड सीरीज की 24वीं फिल्म स्पेक्टर के एक किसिंग सीन को बहुत लंबा बताकर उसे छोटा करवा दिया था। निहलान ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म “बाबुमोशाय बंदूकबाज” में प्रयोग की गयी गालियों को हटवा दिया था।
निहलानी ने सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 (जिसमें बदलाव की जरूरत है) का हवाला देते हुए हर बार यही तर्क दिया कि वो तो बस कानून का पालन कर रहे हैं लेकिन क्या वो अपने इस “पाखंड” के लिए भी किसी कानून का हवाला दे सकते हैं? पहलाज निहलानी से संपर्क करने की कोशिश सफल नहीं हो सकी। उन्होंने पहले फोन उठाया और सवाल पूछने पर काट दिया उसके बाद उन्होंने फोन उठाना ही बंद कर दिया। और न ही एसएमएस का जवाब दिया। बहरहाल, हमें इंतजार है जूली-2 का ताकि पता चल सके पहलाज निहलानी द्वारा वितरित की गयी फिल्म में कितना “संस्कार” है।