एमएलए को अरेस्ट करनेवाले पूर्व डीएम ने सीएम से पूछा- बलात्कारी, भ्रष्ट नेताओं को भी सलाम करवाएंगे?

उत्तर प्रदेश सरकार का एक नया आदेश इन दिनों चर्चा का विषय है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के अधिकारियों से कहा है कि वे मंत्री और विधायकों का खड़े होकर स्वागत करें। सरकारी आदेश के मुताबिक अधिकारियों को सांसद, विधायकों को चाय नाश्ता कराने को भी कहा गया है। आदेश के मुताबिक विधायक, सांसद जब मीटिंग के बाद निकले तो उन्हें उच्च सुरक्षा मुहैया कराई जाए। राज्य सरकार के इस आदेश के खिलाफ अफसरों ने ही अब आवाज उठानी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश के एक आईएएस अधिकारी ने सूर्य प्रताप सिंह राज्य सरकार के इस फैसले पर तंज कसा है। पूर्व डीएम ने सरकार के इस फैसले पर एक पोस्ट लिखा है। सूर्य प्रताप सिंह के पोस्ट की पहली लाइन ही व्यंग्य से होती है। वह लिखते हैं, ‘पांव लगें वीआईपी श्रीमान के, कुर्सी पर चिपके रहने का आशीर्वाद मिलेगा। अधिकारी कुर्सी छोड़कर नमस्ते करें नहीं तो दंडित होंगे, क्या डीपी यादव जैसे अपराधी या फिर प्रजापति जैसे भ्रष्ट बलात्कारी को भी ये सम्मान मिले?’ बता दें कि सूर्य प्रताप सिंह ने बदायूं का डीएम रहते हुए विधायक डीपी यादव को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया था। तब डीपी यादव को नमस्कार नहीं करने के लिए इस बाहुबली नेता ने विधानसभा में उनकी शिकायत की थी।

अपने फेसबुक पोस्ट में इस वाकये का जिक्र करते हुए पूर्व डीएम ने लिखा, ‘जब मुझसे इस बावत सवाल पूछा गया तो मैंने कहा कि एक अपराधी, हत्यारे, बलात्कारी को नमन करना मुझे स्वीकार नहीं।’ उन्होंने कहा कि दुष्ट को सम्मान देना दुष्टता को बढ़ावा देना है। सूर्य प्रताप सिंह ने कहा है कि यह सर्वमान्य सत्य है कि प्रतिष्ठा मांगी नहीं जाती है बल्कि अर्जित की जाती है। असली सम्मान पद से नहीं सदाचरण से मिलता है।’ सूर्य प्रताप सिंह के मुताबिक अगर इंसान का आचरण अच्छा हो तो सम्मान दिल से आता है। सम्मान एकतरफा नहीं हो सकता है। बता दें कि पश्चिमी यूपी में तैनात एक महिला सीओ ने कथित तौर पर एक विधायक की बेइज्जती की थी। इस दौरान सीओ ने भाजपा विधायक को उल्टा-सीधा कहते हुए कहा कि वो भाजपा की छवि खराब कर रहे हैं। इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें अधिकारी कथित तौर पर विधायक को धमकाते हुए नजर आ रही हैं।

सूर्य प्रताप सिंह वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार में डिपार्टमेंट ऑफ ब्यूरो ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज में प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं। वे लिखते हैं कि उनके विचार में इस सरकारी आदेश की कोई जरूरत नहीं है। सम्मान सभी का होना चाहिए चाहे वो सामान्य व्यक्ति हो या फिर विधायक। उन्होंने लिखा है कि इस प्रकार का आदेश अधिकारियों पर गलत दबाव बनाएगा और वीआईपी कल्चर को बढ़ावा देगा।

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