Exclusive: चीन की चालबाजी! भारत से छद्म युद्ध की पकड़ी राह, पूर्वोत्तर में खेल रहा ड्रग्स और हथियारों का खेल

कश्मीर में हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी हाथ होने के सबूत बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन बहुत ऊंचे स्तर के सूत्र मानते हैं कि पाकिस्तान बस एक प्रॉक्सी था- पूरे हमले के पीछे चीन के हाथ होने के निशान मिल रहे हैं. दरअसल, ये अंदेशा हर लिहाज से है कि चीन देश की पूर्वी सरहदों पर गैरपारंपरिक हथियारों की लड़ाई छेड़ने की तैयारी में है. इस गैरपारंपरिक युद्ध में नगालैंड के सशस्त्र विद्रोही समूहों- जैसे NSCN IM और ZRA को शामिल किया जा सकता है. ये वो समूह हैं जो पहले से ही चीन के दिए अत्याधुनिक हथियारों से पूरी तरह लैस हैं और देश की पूर्वी सरहद बस मुक़ाबला शुरू का इंतज़ार कर रही है.

एनडीटीवी को उच्चस्तरीय अधिकारियों ने ये जानकारी दी है कि दो साल पहले मणिपुर हिंसा के बीज चीन द्वारा बोए गए थे. अवैध ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के सहारे बढ़ाई जा रही ये हिंसा ही चीन द्वारा भारत के ख़िलाफ़ छेड़े गए गैरपारंपरिक युद्ध का बर्बादी भरा नतीजा है.

बीते दस वर्षों में चीन की रणनीति बदल चुकी है. अब वे थ्री वारफेयर्स की रणनीति पर अमल कर रहे हैं.

  • पहला – मनोवैज्ञानिक युद्ध
  • दूसरा – जनमत के सहारे युद्ध
  • तीसरा – कानूनी युद्ध

चीन ने अब सीधे संघर्ष में उलझने की जगह हमारे मुल्क के ताने-बाने पर चोट करने की रणनीति अपनाई है- दरारें खोजने और उनको फैलाने की रणनीति. मकसद- पूर्वोत्तर के राज्यों को ड्रग्स के सहारे आर्थिक और सामाजिक तौर पर तोड़ दिया जाए और हथियारबंद उग्रवादियों को पैसे और मदद दी जाए, जो बड़े पैमाने पर वसूली में लगे रहते हैं और इलाके के विकास को रोके रहते हैं.

कौन हैं NSCN IM और ZRA? क्यों हथियारबंद होकर कर रहे हैं लड़ाई?

NSCN-IM यानी नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड- इसाक-मुइवा

ये वो संगठन है जो नगा नेशनल काउंसिल से टूटकर बना है. जिसका गठन भारत सरकार पर नगाओं के लिए अलग देश बनाने का दबाव बनाने के लिए किया गया था. नगा बस भारत में ही नहीं रहते, बल्कि म्यांमार के भारत से लगते इलाक़ों में भी बसे हुए हैं.

नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात के राज्यपाल रह चुके एससी ज़मीर नगा नेशनल काउंसिल से भी कभी जुड़े रहे थे- दरअसल वो उन प्रमुख नेताओं में थे, जिन्होंने भारत में अलग नगा राज्य के लिए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ बातचीत की थी. जमीर ने एनडीटीवी से कहा कि NSCN IM नगा पहचान और नगा राष्ट्र के लिए अहिंसक संघर्ष के आदर्श से बहुत दूर जा चुकी है.

NSCN IM को चीन में ट्रेनिंग मिली थी- वो नगा नेशनल काउंसिल का पूरा मक़सद ही बदल चुके हैं. NSCN IM चीन से ट्रेनिंग लेकर आते थे और माओवादी विचारधारा पर अमल करते थे- सत्ता बंदूक की नली में होती है. उन्होंने नगा नेशनल काउंसिल के कई नेताओं का सफाया कर दिया. एससी ज़मीर ने कहा कि जब ये गुट मुइवा के हाथ में गया, मैंने उनका खुलकर विरोध किया और स्वाभाविक तौर पर मैं उनके निशाने पर आ गया और उन्होंने 4 बार मुझे मारने की कोशिश की.

NSCN I-M का 2025-26 में 158 करोड़ से ज़्यादा की उगाही का इरादा  

पूर्वोत्तर के लोगों पर लगातार बंदूक की नली तनी रहती है. NSCN I-M और ZRA लगातार बड़े पैमाने पर वसूली में लगे रहते हैं. NSCN I-M के 2024-25 के बजट की एक्सक्लूसिव कॉपी एनडीटीवी के हाथ लगी है, जिसमें 2025-26 के लिए उसकी लक्षित आय का ज़िक्र है. NSCN I-M का इरादा 158 करोड़ से ज़्यादा उगाहने का है, जिसे वो संप्रभुता टैक्स कहते हैं- वसूली के लिए एक अलग सा नाम. तो यहां खाने-पीने का सामान हो, ईंधन हो या फिर निर्माण सामग्री- कुछ भी लाने की इजाज़त तब मिलती है जब इस समूह को पैसे दिए जाते हैं. छोटे दुकानदारों को भी NSCN I-M के लोगों को पैसे देने पड़ते हैं- वे बंदूक की नोक पर पैसे देते हैं.

म्यांमार से सुपारी की तस्करी भी आम है और इन हथियारबंद संगठनों को मोटी रक़म दिलाती है. इस वित्त वर्ष में NSCN I-M का इरादा बस सुपारी से 2 करोड़ रुपये उगाहने का है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, म्यांमार से आई ये सस्ती सुपारी ज़्यादातर गुटखा कारख़ानों में पहुंच जाती है- एक और अवैध अर्थव्यवस्था को मज़बूत करती हुई.

उग्रवाद की वजह से बहुत सारे गुट हो गए जो लोगों से वसूली कर रहे थे. महंगाई बढ़ने की कोई वजह नहीं. सुबह एक किलो टमाटर 30 रुपये का मिलता था और शाम को बेवजह 60 रुपये का. सामाजिक संगठनों ने सवाल पूछना शुरू किया कि ये महंगाई क्यों. युवाओं का समूह ये जानने पहुंचा कि क्या हो रहा है. उन्होंने पाया कि बाज़ार में हर चीज़ पर टैक्स लग रहा है. वो इसे संप्रभुता कर कह रहे थे.

राज्य सरकारें भी NSCN IM और ZRA जैसे संगठनों को दिए जा रहे इस पैसे को लेकर इन वर्षों में ढिलाई बरतती रही हैं, जबकि उन्हें लोगों की हिफ़ाज़त के लिए कार्रवाई करनी चाहिए. यहां तक राज्य सरकार भी कुछ बड़े समूहों को टैक्स देती रही है. विकास के लिए जो पैसा आता है, विभाग को उसका 5-6% इन समूहों को दे देने का आदेश सीधे मुख्यालय से ही आ जाता है. फिर पैसा इलाक़े में पहुंचता है- फील्ड ऑफिसर और ठेकेदारों से भी टैक्स लिया जाता है. राज्य सरकार इससे इनकार करेगी. राज्य सरकार के कर्मचारी अपनी सैलरी का 22% दे रहे हैं जो सीधे डिसबर्समेंट ऑफिस में उनको दिए जाने से पहले ही कट जाती है.

डिसबर्समेंट ऑफिसर हथियारबंद समूहों से मोलतोल करता है कि वो 22 फीसदी से घटा कर इसे 10-12 फीसदी कर दें और बाक़ी रकम सरकारी कर्मचारियों को दे दी जाती है.

सुरक्षाबल वसूली को रोकने की कर रहे कोशिश

असम रायफ़ल्स और लोकल पुलिस इस बेइंतहा वसूली को रोकने की कोशिश करते हैं. 16 मई को, असम रायफ़ल ने एक अनाम संगठन के 10 लोगों को मार गिराया और सात AK-47, एक RPG launcher, एक M4 रायफल और 4 सिंगल बैरल ब्रीच-लोडिंग रायफल बरामद किए. उन्होंने भारत-म्यांमार सीमा पर मणिपुर के चंदेल ज़िले में बड़ी तादाद में गोलाबारूद और युद्ध जैसे भंडार देखे. लेकिन चीनी पैसे और हथियारों से लैस ये संगठन और भी युवाओं की भर्ती करते हैं और नतीजतन हिंसा आम हो जाती है.

मणिपुर हिंसा के पीछे चीन की गैरपारंपरिक युद्ध नीति

2023 की मणिपुर हिंसा के पीछे भी चीन की गैरपारंपरिक युद्ध नीति थी- भारत में ड्रग्स भेजो, हथियारबंद हिंसक समूह खड़े करो और जब ज़रूरत हो, उनके कंधों पर रखकर बंदूक चलाओ. दो साल बाद, मणिपुर में बहुत कड़े सुरक्षा इंतज़ाम हैं. अब मिज़ोरम तरह-तरह के ड्ग्स भारत में भेजने का सबसे पसंदीदा रूट है. म्यांमार की मिलिटरी जुंटा को चीन का समर्थन हासिल है- वह भारत में बड़े पैमाने पर इस ड्रग्स तस्करी को बढ़ावा देती है.