मदरसे में रेप का शिकार हुई मासूम के परिजनों ने लोगों से की मजहबी रंग नही देने की अपील
गाजियाबाद के मदरसे में रेप का शिकार हुई मासूम के परिजनों ने लोगों से अपील की है कि इस मामले को धार्मिक नजरिए से नहीं देखा जाए। पीड़िता के 25 साल के मामा ने कहा है, “मेरी भांजी अभी ठीक से जानती भी नहीं है कि मजहब के मायने क्या हैं। इस घटना को धर्म के नजरिए से देखना ठीक नहीं है। जो भी उसके साथ हुआ, वह निर्मम है और जिसने ये किया, उसे फांसी की सजा होनी चाहिए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसका धर्म क्या था।”
मौलवी ने खिलाए थे बिस्कुट? : पीड़िता के मामा ने कहा कि बच्ची को पुलिस ने बुधवार (25 अप्रैल) को घर वालों को सौंप दिया था। लौटने पर उसने घर वालों को खुद पर हुए जुल्म की पूरी कहानी सुनाई। उसने बताया कि उसे दवा देकर बेहोश किया गया था। वह बोलने की स्थिति में नहीं थी। वह बेसुध हो चुकी थी। अपहरण के बाद उसे कुछ मिला हुआ पानी पीने के लिए दिया गया। इसके बाद उसे कुछ भी याद नहीं कि क्या हुआ था। उसे सिर्फ इतना याद है कि जब उसे मदरसे में लाया गया, तब उसने मौलवी को देखा था। मौलवी ने उसे खाने के लिए बिस्कुट दिए थे।
पुलिस आयुक्त से मिले परिजन : बच्ची के मामा ने आगे बताया कि गुरुवार (26 अप्रैल) को हमने पुलिस मुख्यालय में पुलिस आयुक्त से मुलाकात की। हमने उन्हें बच्ची की बताई हर बात की जानकारी दी। पुलिस आयुक्त ने परिवार को जल्दी जांच पूरी करने का भरोसा दिलवाया है। उन्होंने परिवार को जानकारी दी कि इस मामले की जांच अब क्राइम ब्रांच करेगा। जबकि बच्ची को गुरुवार (26 अप्रैल) को ही बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया गया था।
सदमे में है पीड़िता बच्ची : मामले की जांच कर रहे क्राइम ब्रांच के संयुक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने बताया, “जांच अधिकारी जल्दी ही पीड़िता से पूरे मामले की जानकारी के लिए मिलेंगे। गुरुवार (26 अप्रैल) को जांच अधिकारियों ने बच्ची से बात करने की कोशिश की थी। लेकिन वह बेहद डरी हुई और सदमे में थी। इस कारण उससे बात नहीं की जा सकी। शुक्रवार (27 अप्रैल) को पुलिस अधिकारी फिर से बच्ची से बात करने की कोशिश करेंगे।” वहीं, आरोपी मौलवी से पुलिस कई बार पूछताछ कर चुकी है। गुरुवार (26 अप्रैल) को भी टीम ने आरोपी मौलवी से काफी देर तक पूछताछ की है। मदरसे में रहने और आने-जाने वाले बाकी लोगों से भी पूछताछ हो रही है।
आरोपी की उम्र पर है शक : एक पुलिस अधिकारी ने बताया, “नाबालिग आरोपी इस वक्त जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की हिरासत में है। लेकिन अभी भी उसकी उम्र पर संदेह बना हुआ है। अगर वह खुद के नाबालिग होने के पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाता है तो उसकी हड्डियों की जांच करवाई जाएगी। इससे उसकी आयु का सही अनुमान लगाया जा सकेगा।” इन सभी प्रक्रियाओं के बीच में गुरुवार (26 अप्रैल) को गाज़ीपुर पुलिस थाने के बाहर नारेबाजी और प्रदर्शन किया गया। लोगों ने मौलवी की गिरफ्तारी की मांग की है। लोगों की मांग थी कि गिरफ्तारी के एक घंटे के भीतर मौलवी को फांसी पर लटका दिया जाए।