देश के इन मंदिरों में आज भी है महिलाओं की ‘नो एंट्री’
देश में आज भी कई मंदिर ऐसे हैं जहां महिलाओं का प्रवेश निषेध हैं। हालांकि पिछले कुछ समय से आंदोलन और कोर्ट की मदद से महिलाएं कई मंदिरों में प्रवेश का अधिकार प्राप्त कर चुकी हैं फिर भी कई मंदिर अभी भी महिलाओं को प्रवेश देने को तैयार नहीं हैं। ऐसा ही एक मंदिर ओडिशा के प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी मंदिर परिसर में स्थित बिमाला खांडा शक्ति पीठ है। इस मंदिर में महिलाओं को प्रवेश का अधिकार नहीं है। मान्यता है कि सभी महिलाएं मां काली की अवतार हैं, इसलिए उन्हें दुर्गा पूजा का अधिकार नहीं है।
हरियाणा के पिहोवा में स्थित भगवान कार्तिकेय मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पूरी तरह रोक है। मंदिर के बाहर बोर्ड लगाकर लिखा हुआ है कि महिलाओं का प्रवेश वर्जित। मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय एक बार ध्यान कर रहे थे तब इंद्र ने उनकी तपस्या भंग करने के लिए अप्सराएं भेंजीं। जिससे भगवान कार्तिकेय नाराज हो गए और श्राप दिया कि अगर कोई भी महिला उनके पास उनका ध्यान भंग करने के लिए आती है तो वह पत्थर की हो जाएगी। जिस कारण इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।
असम में 15वीं शताब्दी में बना पतबाउसी सत्रा मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। हालांकि कई बार इस प्रतिबंध को खत्म करने की कोशिश होती रही है।
- महाराष्ट्र के सतारा स्थिर घटई देवी मंदिर में भी महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। हालांकि ऐसा कोई लिखित में बोर्ड नहीं लगा है। लेकिन मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई है।
- छत्तीसगढ़ के मावाली माता मंदिर में भी महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। हालांकि विरोध बढ़ने पर मंदिर ने परिसर में एक अलग से मंदिर में बनाया है जो कि विशेष रूप से महिलाओं के लिए ही है।
केरल में स्थित सबरीमाला श्री अयप्पा मंदिर पिछले काफी समय से सुर्खियों में है। काफी समय से महिलाएं इस मंदिर में प्रवेश के अधिकार को लेकर संघर्ष कर रही हैं। भगवान अय्यप्पा के इस मंदिर में 12 से 50 साल की लड़कियों और महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। इसका मुख्य कारण भगवान अयप्पा एक ब्रह्मचारी होना हैं।