मध्य प्रदेश में एक किसान ने कर्ज के लिए अपने बेटे को ही रख दिया गिरवी, नहीं छुड़वा पाया तो की आत्महत्या!

 

मध्य प्रदेश से एक चौंकाने वाली खबर सामने आयी है, जिसमें एक किसान ने कर्ज के लिए अपने बेटे को ही गिरवी रख दिया। जब किसान कर्ज नहीं चुकाने के कारण अपने बेटे को नहीं छुड़ा पाया तो उसने परेशान होकर आत्महत्या कर ली। वहीं इस घटना को लेकर कांग्रेस ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर तीखा हमला बोला है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि ‘यह असंवेदनशीलता की हद है। क्या सरकार किसानों की आमदनी को दोगुना कर रही है, जैसा कि सरकार ने वादा किया है, या फिर सरकार, किसानों को कंगाल बना रही है?’

किसान द्वारा आत्महत्या की घटना मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले की है, जहां के एक गांव बोलाना के एक किसान ने अपने बेटे को गिरवी रखकर 2.5 लाख रुपए का कर्ज लिया था, लेकिन फसल बर्बाद होने के कारण किसान अपना कर्ज नहीं चुका पाया और उसने आत्महत्या कर ली। घटना शनिवार की है। वहीं इस घटना के सामने आने के बाद कांग्रेस ने सरकार की जमकर आलोचना की है और पीड़ित परिवार के लिए 10 लाख रुपए मुआवजे और गिरवी बेटे को छुड़ाने की मांग की है। वहीं इस संवेदनशील मामले पर पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार चौहान के बयान ने स्थिति को और भी ज्यादा बिगाड़ दिया है। नंदकुमार, जो कि मध्यप्रदेश के खांडवा से सांसद भी हैं, उन्होंने कहा कि “कर्ज के बदले में बच्चों को गिरवी रखने की परंपरा रही है।”

नंदकुमार चौहान के इस बयान ने विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका दे दिया है। विपक्ष के नेता अजय सिंह का कहना है कि यह घटना और नंदकुमार का इस पर बयान सरकार के लिए बेहद ही शर्म की बात है। यह बयान भाजपा सरकार की मानसिकता बताने के लिए काफी है। अजय सिंह ने सवाल करते हुए कहा कि सवाल यह है कि वो लोग कौन हैं, जो 0 प्रतिशत की दर से लोन पा रहे हैं? जैसा कि सरकार दावा करती है! अजय सिंह ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दावा किया जा रहा है कि राज्य की कृषि विकास दर सबसे ज्यादा है, तो फिर राज्य के किसानों को इसका फायदा क्यों नहीं हो रहा है? विपक्ष के नेता ने दावा किया कि शिवराज सिंह चौहान सरकार के तीन कार्यकाल में 5500 से भी ज्यादा किसान खुदकुशी कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि किसानों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाएं सरकारी आंकड़ों से भी ज्यादा हैं।

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